पुणे. देश में छात्राओं के लिए पहला स्कूल शुरू करने वाले महात्मा ज्योतिबा फुले को सरकार और समाज के साथ जो संघर्ष उस समय करना पड़ा कमोवेश वैसा ही संघर्ष आज उनके परिजनों को करना पड़ रहा है। अंतर सिर्फ इतना कि तब उन्होंने समाज को नई राह दिखाने के लिए किया था और उनके परिजन बेहतर जिंदगी के लिए कर रहे हैं। महात्मा फुले के पड़ पोते दत्तात्रेय होले की बहू...
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बदल रहे हैं, गांव, देहात और जंगल- हरिवंश
फ़रवरी 2008 में चतरा के नक्सल दृष्टि से सुपर सेंसिटिव गांवों में जाना हुआ. साथ के मित्रों के भय और आशंका के बीच, देर शाम तक घूमना हुआ. सूनी सड़कों पर मरघट की खामोशी के बीच. तब तक लिखा यह अनुभव भी छपा नहीं. पाठक पढ़ते समय ध्यान रखें यह फ़रवरी 2008 में लिखी गयी रपट है. कभी डालटनगंज-चतरा के इन इलाकों में खूब घूमना हुआ. समाजवादी चिंतक, अब बौद्ध अध्येता व...
More »अकाल, भुखमरी इस देश में कई समुदायों की जीवनसाथी है- विनायक सेन से आशीष कुमार अंशु की बातचीत
विनायक सेन को लेकर मीडिया और समाज में दो तरह की छवि है। एक विनायक सेन, जिन्हें हमेशा देश के दुश्मन के तौर पर पेश किया जाता है, दूसरे विनायक सेन वे जो आदिवासियों के शुभचिंतक हैं और गरीब समाज के मसीहा हैं। दोनों विचार अतिवादी हैं। इस तरह एक आम भारतीय असमंजस की स्थिति में है कि वह इन दोनों में से किसे सच माने और किसे झूठ! यदि हम मीडिया की नजर...
More »हाईस्कूल तक मुफ्त पढ़ाई की तैयारी- राजकेश्वर सिंह
नई दिल्ली छह से चौदह साल तक के बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य पढ़ाई का कानूनी इंतजाम करने के बाद अब उसके आगे की राह भी आसान करने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। केंद्र सरकार अब माध्यमिक स्तर (कक्षा नौ व दस) के छात्रों को भी मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा दिलाने का मन बना चुकी है। देर है तो बस राज्य सरकारों की रजामंदी की। राज्यों ने हामी भरी तो...
More »मजदूरों के हाथ-पांव में कीलें ठोंकी
रोजी-रोटी की तलाश में झारखंड से चेन्नई गये छह मजदूरों को नक्सली कह कर पीटा गया, उनके पैरों में कीलें ठोंकी गयी. हर साल लगभग पचास हजार मजदूर काम की तलाश में बाहर जाते हैं. अन्य राज्यों में यहां से काम और पढ़ाई के लिए गये मजदूरों व छात्रों को कठिनाइयों को सामना करना पड़ता है. रांची के दो छात्रों की मुंबई में हुई हत्या भी साबित करती है कि झारखंड...
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