मध्यकालीन भारत पर दुनिया के सबसे बड़े विशेषज्ञों में गिने जाने वाले इरफान हबीब आजकल भारत के जन इतिहास शृंखला पर काम कर रहे हैं. इसके तहत दो दर्जन से अधिक किताबें आ गई हैं. हिन्दी पत्रिका तहलका के रेयाज उल हक के साथ बातचीत में वे बता रहे हैं कि किस तरह इतिहासकारों के लिए वर्तमान में हो रहे बदलाव इतिहास को लेकर उनके नजरिए को भी बदल देते...
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25 साल बाद यह कैसा इंसाफ!
नई दिल्ली [विष्णु गुप्त]। महत्वपूर्ण यह नहीं है कि भोपाल गैस काड के आठ अभियुक्तों को न्यायालय ने दोषी ठहराया है, उन्हें दो-दो साल की सजा सुनाई है या अब भोपाल गैस काड के पीड़ितों को न्याय मिल ही गया। अहम यह है कि भोपाल गैस काड के अभियुक्तों को दंडित करने में 25 साल का समय क्यों और कैसे लगा? न्याय की इतनी बड़ी सुस्ती और कछुआ चाल। क्या गैस...
More »किसान मरे नहीं तो क्या करे--- देविंदर शर्मा
भारत में किसानों की आत्महत्या को लेकर छिड़ी बहस के बीच अमरीका में किसानों को अनुदान दिए जाने के बारे में एक दिलचस्प रिपोर्ट आई. 1997 से 2008 के बीच भारत में करीब दो लाख किसानों ने बढ़ते कर्ज के कारण होने वाले अपमान से बचने के लिए अपनी जान देने का आत्मघाती कदम उठाया. इन किसानों को सरकार से किसी प्रकार की सीधी सहायता नहीं मिली थी. अमरीका ने 1995...
More »बच्चे पढ़ने लगे बिहार के राघव की कहानी
पटना [भारतीय वसंत कुमार]। बिहार में वैशाली जिले के मंसूरपुर में रहने वाले राघव की कहानी इन दिनों देश के बच्चे पढ़ने लगे हैं। राघव ने बिना किसी तकनीकी शिक्षा के अपने गांव के लिए 'कम्युनिटी रेडियो' का माडल विकसित किया। इस राह में उसे कड़े संघर्ष का सामना करना पड़ा। पुलिस के चक्कर भी लगाने पड़े। लेकिन उसके प्रयास को सफलता मिली और इस समय वह अजमेर [राजस्थान] के...
More »रोटी को तरसते लोग, गोदामों में सड़ते अनाज
नई दिल्ली [उमा श्रीराम]। करीब 70 वर्ष पहले चर्चित कवि सुब्रमण्यम भारती ने यह कहकर हलचल मचा दी थी कि यदि दुनिया में एक भी आदमी भूखा है तो इस विश्व को ही नष्ट कर दो। भारती जी ने तभी भारत की आजादी को देख लिया था और उन्होंने आधुनिक भारत, युवा वर्ग व महिलाओं को समर्पित करते हुए कई कविताएं रच डाली थी। पर दुर्भाग्य से वे यह कल्पना भी नहीं कर सके...
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