भारत सरकार का गरीब तबके को छोटे ऋण यानी माइक्रोफाइनेंस देने पर जोर है. इन ऋणों को अधिकतर महिलाओं के स्वयं सहायता समूह के माध्यम से वितरित किया जाता है. सोच है कि ऋण से महिलाएं बकरी, दूध, परचून, फेरी आदि के धंधे कर सकेंगी. उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता मिलेगी और परिवार की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी. इसी तरह से बांग्लादेश के मोहम्मद युनूस द्वारा स्थापित ग्रामीण बैंक द्वारा करीब 40 लाख महिलाओं...
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देवकी जैन: आम औरत की खास अर्थशास्त्री
केवल संयोगवश एक अर्थशास्त्री और नारीवादी बनी देवकी जैन विकासशील विश्व की प्रमुख ‘नारीवादी अर्थशास्त्री’(फेमिनिस्ट इकोनॉमिस्ट) हैं. उच्च अध्ययन के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के रस्किन कॉलेज गयीं, भारत लौट कर देवकी जैन ने भारतीय सहकारी आंदोलन के लिए काम करना शुरू किया. वह विनोबा भावे के भूदान आंदोलन में शामिल हो गयीं और पदयात्र की. 1966 में प्रसिद्ध गांधीवादी अर्थशास्त्री लक्ष्मी चंद जैन से विवाह किया. संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन हेतु किताब के...
More »दिल्ली में बीपीएल कार्डधारकों को मिलेंगे 12 रियायती सिलेंडर
जनसत्ता संवाददाता, नई दिल्ली। भारत सरकार के एक वित्त वर्ष में सभी के लिए सबसिडी वाले घरेलू गैस के सिलेंडर छह से नौ करने के फैसले के बाद दिल्ली सरकार ने सोमवार को एक महत्त्वपूर्ण फैसला किया। इस फैसले के तहत राजधानी की महत्त्वाकांक्षी केरोसिन-फ्री दिल्ली योजना के दायरे में आने वाले समाज के कमजोर वर्ग के परिवारों को अतिरिक्तमदद मिलेगी। इस योजना का मकसद दिल्ली को देश का पहला केरोसिन मुक्त राज्य...
More »मुसहर बच्चे फर्राटे से पढ़ते हैं शेक्सपियर की अंग्रेजी के पाठ
पटना। शेक्सपियर और बिहार में समाज के हाशिए पर पड़े मुसहर समुदाय के बच्चों का क्या मेल हो सकता है आपने कभी सोचा है? राजधानी पटना में फर्राटे से मुसहर समुदाय के कक्षा आठ के बच्चों को जूलियस सीजर और मैकबेथ के पात्रों के रूप में प्रहसन प्रस्तुति (स्किट) देते हुए दांतों तले अंगुली दबा लेंगे। भारतीय पुलिस सेवा से अवकाश प्राप्त अधिकारी जेके सिन्हा की कोशिशों से पटना के आंबेडकर पथ...
More »पुलिस का चेहरा- प्रेमपाल शर्मा
जनसत्ता 18 जनवरी, 2013: स्त्री की हिफाजत, हैसियत, बराबरी के किसी मुद्दे पर इतना बड़ा तूफान भारतीय समाज में शायद पहले कभी न खड़ा हुआ हो। दिल्ली में ही लोग सड़कों पर नहीं उतरे, मणिपुर, जम्मू, चेन्नै से लेकर मुंबई, कोलकाता आदि शहरों में भी आक्रोश और पश्चाताप के अलग-अलग स्वर सुनने को मिले। हमारी सामाजिक गिरावट की विडंबना का एक नमूना यह भी रहा कि फिजा में फैली फांसी की मांग...
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