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सरकारी दावे की कार्यकर्ता ने खोली पोल, 4 ने पीया दूध, सभी की तबीतय बिगड़ी

बीजापुर। केतुलनार दूधकाण्ड में घटना के तीसरे दिन आंगनबाड़ी सहायिका ने खुलासा किया है कि घटना के दिन आंगनबाड़ी केंद्र में 10 बच्चों ने नहीं बल्कि सिर्फ चार बच्चों ने ही अमृत दूध पिया था जिनमें से दो की मौत हो गई। वहीं छह बच्चों ने चखने के बाद दूध को फेंक दिया था। पहले दिन यह बताया गया था कि 10 बच्चों ने दूध पिया था। गुरुवार को आंगनबाड़ी...

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जीवन चलने का नाम : उदयपुर के प्रवासी मजदूरों की बदलती दुनिया

" यह सड़क कहां जाती है ? "सड़क कहीं नहीं जाती, इस पर आने-जाने वाले लोग जाते हैं." विजयदान देथा की एक कहानी में चतुर बुढ़िया ने अपनी हाजिरजवाबी से राजा और मंत्री को छकाने के लिए कहा था. पता नहीं उदयपुर जिले के जनजातीय इलाके गोगुन्दा, कोटड़ा और सलुम्बर में चतुर बुढ़िया की यह लोककथा प्रचलित है या नहीं लेकिन यहां के राष्ट्रीय राजमार्ग-8 पर बुढ़िया की बात फिट बैठती है. लाने-जाने के...

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जानलेवा 'अमृत' को प्रशासन अब क्लीनचिट देने में जुटा

रायपुर (ब्यूरो)। छत्तीसगढ़ सरकार की अमृत योजना का दूध पीने के बाद केतुलनार में हुई दो बच्चियों की मौत के मामले में राजधानी से लेकर बीजापुर तक सरकारी अमला अब यह साबित करने में जुटा है कि दूध विषाक्त नहीं था। खामी निकाली जा रही है ग्रामीणों में, जो दूध पीकर बीमार पड़े बच्चों को अस्पताल की बजाय बैगा के पास ले गए। इधर राज्य सरकार ने जांच के जो बिंदु...

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मध्यप्रदेश- ग्रामोदय अभियान की रिपोर्ट बनेगी तबादले का आधार

भोपाल (ब्यूरो)। 14 अप्रैल से चल रहे ग्रामोदय से भारत उदय अभियान की समीक्षा मंगलवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान करेंगे। इसमें वह कमिश्नर, कलेक्टर और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों से अभियान की रिपोर्ट लेंगे। इसके अलावा सांसद, विधायक और प्रमुख सचिवों से भी जिलों के कामकाज की रिपोर्ट ली जाएगी। यही रिपोर्ट अफसरों के तबादले का आधार भी बनेगी। सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि...

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सरकार ....! आखिर ये बौद्घिक नसबंदी क्यों ?-- आनंद पांडे

क्या अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर अब एक नई बहस का वक्त आ गया है? अभिव्यक्ति की आजादी कितनी हो और उसे किस तरह सार्वजनिक किया जाए...क्या इसको लेकर भी नए मापदंड बनाए जाने चाहिए? क्या अब बहस-विमर्श और समीक्षा इस बात को लेकर होनी चाहिए कि आजादी के इतने सालों बाद भी हमें समाज के एक बड़े बुद्घिजीवी वर्ग को सिर्फ इसलिए सामाजिक बहसों से दूर रखना चाहिए...क्योंकि वो...

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