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लालमिर्च की निर्यात मांग कमजोर, किसान तीसरी और चौथी तुड़वाई नहीं कर पाए

-आउटलुक,  कोरोनावायरस की वजह से दुनिया के अधिकांश देशों में लॉकडाउन होने के कारण देश से लालमिर्च का निर्यात रुक गया है, साथ ही मजदूर नहीं मिलने के कारण किसान फसल की तीसरी और चौथी तुड़वाई भी नहीं कर पाये, जिस कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा। इस समय लालमिर्च के निर्यात सौदे सामान्य के केवल 10 फीसदी ही हो रहे हैं, जिस कारण किसानों को मजबूरन कोल्ड स्टोर में फसल रखनी...

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कोविड-19 संकट के बीच मजदूरों को आर्थिक सहयोग देने की वित्तीय क्षमता रखती है भारत सरकार

-द प्रिंट,  कोरोनावायरस केंद्र और राज्य सरकारों के लिए नई चुनौती बन कर सामने आया है. इसके मद्देनजर अर्थशास्त्रियों ने भी सरकार के सामने कई तरह के सुझाव रखे हैं. आर्थिक विशेषज्ञों ने एक बात स्पष्टता से रखी है- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित सहयोग पैकेज कामगार जनता को भूख से बचाने के लिए पर्याप्त नहीं है और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के आगे बहुत छोटा है. यूनिवर्सल बेसिक इनकम (यूबीआई), अन्न...

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कोरोनावायरस: 80 करोड़ परिवारों को झेलना पड़ सकता है आर्थिक संकट: विश्व बैंक

-डाउन टू अर्थ, विदेशों में रह रहे प्रवासियों द्वारा भेजी जाने वाली रकम (रेमिटेंस) पर निर्भर निम्न और मध्यम आय वाले देशों के कम से कम 80 करोड़ परिवारों की जिंदगी नोवेल कोरोनावायरस (कोविड-19) महामारी के कारण बढ़े आर्थिक संकट से खतरे में पड़ गई है। विश्व बैंक ने 22 अप्रैल, 2020 को जारी अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है। विश्व बैंक के अनुसार, दुनिया के अधिकांश मुल्कों के कोरोना की...

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देश में इन समूहों पर लटक रही है कोरोना वायरस के खतरे की तलवार!

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, 25 और 30 मार्च, 2020 के बीच, भारत में कुल COVID-19 मामलों की कुल संख्या दोगुनी यानी 519 से बढ़कर 1,251 हो गई है. 6 दिनों की अवधि में, COVID-19 से होने वाली मौतों की कुल संख्या 9 से 32 हो गई है. इस महामारी जैसी स्थिति में, जब कोरोनोवायरस संक्रमण देश भर में जंगल की आग...

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कोरोनावायरस संकट के बीच जीवन ही नहीं अब जीविका बचाना भी हो गया है जरूरी

-द प्रिंट, कोरोनावायरस त्रासदी के बीच अब वक्त आ गया है कि जीवन बचाने के साथ जीविका बचाने पर भी सोचा जाये क्योंकि बिना जीविका, जीवन अर्थहीन सा हो जाता है. अगर आपको लगता है कि ये बात करना अभी जल्दबाजी है तो आप गलत सोच रहे हैं. क्योंकि अगर अभी ये सोचना नहीं शुरू किया गया तो देश में भुखमरी, अपराधों और आत्महत्याओं से हुई मौतों की तादाद कोरोना से...

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