कैसे काइनेटिक समूह के मालिकों ने बैंकों को 200 करोड़ रुपये का चूना लगाया और सरकार ने उन्हें फिर भी सम्मानित किया? राहुल कोटियाल की रिपोर्ट. उत्तराखंड के टिहरी जिले का एक गांव है सिंजल. बीते दिनों आई आपदा में यहां के कई घर जमींदोज हो गए. हरी सिंह इस गांव के उन लोगों में से हैं जिन्होंने आपदा में अपना सब कुछ खो दिया. लगभग एक महीने बाद सरकार ने आपदा राहत...
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इनकार का मताधिकार- कुमार प्रशांत
जनसत्ता 3 अक्तूबर, 2013 : बरसों-बरस से जिसकी मांग की जा रही थी, वह संसद से भले न मिल सका, न्यायालय से तो मिला! भारतीय मतदाता को यह अधिकार मिला कि वह चुनाव में विभिन्न पार्टियों द्वारा खड़े किए गए उम्मीदवारों को अपने विवेक की कसौटी पर कसे और अगर उसे लगे कि सभी एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं तो वह सबको रद्द करने का बटन दबा सके। मतलब...
More »रेत और रोड़ा- अतुल चौरसिया
उत्तर प्रदेश में आइएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल के खिलाफ कार्रवाई एक तीर से दो शिकार करने की कवायद है. इसका पहला मकसद है अवैध रेत खनन का कारोबार बचाना और दूसरा, सियासी फायदे के लिए धार्मिक भावनाएं भुनाना. अतुल चौरसिया की रिपोर्ट. 28 जुलाई से पहले कादलपुर और दुर्गा शक्ति नागपाल का नाम देश-प्रदेश तो क्या गौतमबुद्ध नगर जिले के भी ज्यादातर लोगों ने नहीं सुना था. गांवों के लिए आप जो...
More »जरूरी दवाएं महंगी कर देगी यूरोप से संधि
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सस्ती दवाओं की खुशी जल्द ही काफूर हो सकती है। केंद्र सरकार यूरोपीय समुदाय के साथ गुपचुप रूप से जो मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) करने जा रही है उसके बाद भारत सख्त पेटेंट शर्तो में बंध सकता है यानी दवाएं महंगी हो सकती हैं। समझौता गुपचुप इसलिए है क्योंकि इसके प्रावधान सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। आमतौर पर मुक्त व्यापार समझौतों का मसौदा संबंधित पक्षों की...
More »सूचना अधिकार में सेंध- गौरव कुमार
जनसत्ता 1 नवंबर, 2012: पारदर्शी, भ्रष्टाचार-मुक्त, लोकहित केंद्रित कल्याणकारी प्रशासन के वादों के साथ बारह अक्तूबर 2005 को यूपीए सरकार ने सूचना का अधिकार कानून लागू किया। देश में अपनी तरह का यह पहला कानून था, जिसने लोगों के हाथ में सूचना पाने का अधिकार दिया। इसके पहले 1923 का जो कार्यालय गोपनीयता कानून था वह ब्रिटिश-हितों के लिए बनाया गया था, जिसके अंतर्गत यह प्रावधान था कि जनता को सरकारी...
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