अगले चार वर्षों में भारत में कामकाजी लोगों की संख्या करीब 87 करोड़ हो जायेगी. इस तरह भारत विश्व में सबसे ज्यादा कामकाजी आबादी वाला देश बन जायेगा. जब कोई देश ऐसी स्थिति में होता है, कि वहां कामकाजी आबादी का प्रतिशत उच्च स्तर पर पहुंच जाता है, तब वह कुछ पाने की उम्मीद करने लगता है. ऐसी स्थिति को जनसांख्यिकीय विजाभन (डेमोग्राफिक डिविडेंड) कहते हैं. इसका अर्थ यह...
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आंकड़ों में ही कम हो रही महंगाई - अनुराग चतुर्वेदी
बढ़ती महंगाई एक बार फिर चर्चा में है। वरना तो महंगाई का जिक्र चुनावी सभाओं या नीति आयोग जैसी संस्थाओं की गंभीर बैठकों में होता है। अर्थशास्त्री इसे मुद्रास्फीति से जोड़ते हैं तो किसान-दुकानदार 'मुनाफाखोरी" से। महंगाई पर चर्चा क्या सिर्फ आंकड़ों की कलाबाजी है या फिर यह हकीकत से भी जुड़ी है? सरकार का दावा है कि मुद्रास्फीति की दर दो अंकों से गिरकर एक अंक की हो गई...
More »पेमेंट्स बैंक से पीछे हटती हस्तियां-- बिभाष
मुद्रा नीति की घोषणा के बाद पत्रकारों के प्रश्नों के जवाब में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि सिर्फ गंभीर हस्तियों/फर्मों को पेमेंट्स बैंक लाइसेंस के लिए आवेदन करना चाहिए. उनका यह बयान इस परिप्रेक्ष्य में था कि हाल ही में तीन हस्तियों ने, जिन्हें पेमेंट्स बैंक चालू करने का लाइसेंस मिला था, इस प्रकार के बैंक खोलने के अपने इरादे से पीछे हट गये. वर्ष...
More »इस संकट को समझना होगा-- कृष्ण कुमार
उच्च शिक्षा का दायरा जितना सीमित है, उसकी आंतरिक दुनिया उतनी ही रहस्यमय है। जनसामान्य की नजर से देखें तो कॉलेज या विश्वविद्यालय एक ऐसी जगह के रूप में दिखाई देंगे जहां बड़े लोगों के बच्चे डिग्री लेने जाते हैं। यह समझ इतनी गलत भी नहीं है, भले ही इधर के वर्षों में कॉलेज जाने वाले लड़के-लड़कियों का सामाजिक दायरा पहले की अपेक्षा कुछ फैला है। वहां डिग्री के दायरे...
More »सरकारी बैंकों का अंधेरा कुआं-- भरत झुनझुनवाला
वित्त मंत्री ने चिंता जतायी है कि सरकारी बैंकों द्वारा दिये गये लोन बड़ी मात्रा में खटाई में पड़ रहे हैं. इससे अर्थव्यवस्था पर संकट मंडराने लगा है. याद करें कि 2008 में अमेरिकी बैंकों पर संकट उत्पन्न हो गया था. उन्होंने बड़ी मात्रा में लेहमन ब्रदर्स जैसी कंपनियों को लोन दिये थे. लेहमन ब्रदर्स लोन को वापस नहीं दे पाया था. और अमेरिकी अर्थव्यवस्था चरमरा गयी थी. इसी प्रकार...
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