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उपेक्षा की मार झेल रहा एक जिला-- योगेन्द्र यादव

पिछले सप्ताह से यह सवाल मेरे मन में बार-बार घूम रहा है. पिछले सप्ताह नीति आयोग ने देश के सबसे पिछड़े 101 जिलों की सूची जारी की. इस सूची में सबसे ऊपर यानी देश का सबसे पिछड़ा जिला होने का श्रेय हरियाणा के मेवात जिले को जाता है (आजकल इसका सरकारी नाम जिला मुख्यालय के नाम पर नुहू कर दिया गया है). बिहार के अररिया, छत्तीसगढ़ के सुकमा, उत्तर प्रदेश...

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भारत में कुल 4 लाख से ज्‍यादा भिखारी, एक जगह ऐसी भी जहां केवल दो, जानिए अन्‍य का हाल

भारत में चार लाख 13 हजार 670 भिखारी हैं। दो लाख 21 हजार 673 इनमें पुरुष हैं, जबकि एक लाख 91 हजार 997 महिलाएं हैं। वहीं, पश्चिम बंगाल में भिखारियों और बेघरों की संख्या देश में सबसे ज्यादा है। तकरीबन चार लाख भिखारियों में 81 हजार सिर्फ पश्चिम बंगाल में रहते हैं। लेकिन एक जगह ऐसी भी है, जहां सिर्फ दो भिखारी हैं। यह जगह लक्षद्वीप है। ये सारे दावे...

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स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा गुजरात : नीति आयोग

गांधीनगर। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने रविवार को कहा कि गुजरात ने औद्योगिकीकरण के मामले में तो अच्छा काम किया है, लेकिन स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में वह पीछे छूट गया है। राजीव कुमार मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। राजीव कुमार ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में गुजरात की उपलब्धियां वैसी नहीं...

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बांध, पर्यावरण और जनजीवन-- मणीन्द्र नाथ ठाकुर

महानंदा नदी को क्या कोसी नदी की तरह ही बिहार या सीमांचल का अभिशाप कहा जा सकता है? यह सवाल उठा रहे हैं कटिहार जिला के कदवा प्रखंड में जमा हुए हजारों लोग. देश में राजनीति के बदले माहौल में भी यदि यह संभव हो सका कि आस-पास के कई विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान और भूतपूर्व विधायक अपनी पार्टियों की पहचान से ऊपर उठकर एक मंच पर आ सकें और...

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आदिवासी बनाएंगे सियासी दल, चुनाव से पहले समाज में हो रहा सर्वे!

मृगेंद्र पांडेय, रायपुर। छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज एक नए राजनीतिक विकल्प की तलाश में निकल पड़ा है। विधानसभा चुनाव से दस महीने पहले सर्वआदिवासी समाज एक सर्वे कर रहा है, जिसमें यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या आदिवासी, पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यकों को एकजुट होकर गैर कांग्रेसी, गैर भाजपाई राजनीतिक पार्टी बनानी चाहिए। क्या आरक्षित वर्ग को नया राजनीतिक विकल्प तलाशना चाहिए? राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो पिछले तीन...

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