कुछ दिन पहले पूर्वोत्तर भारत तथा दिल्ली व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सहित हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश विषैली धुंध की घनी परत से ढंके हुए थे। दस-पंद्रह दिनों तक काले वायुमंडल ने लोगों के भीतर विचित्र भय पैदा कर दिया था। लेकिन अब दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश सहित धुंध से सने क्षेत्र कुछ-कुछ साफ क्या हुए कि प्रदूषण से ध्यान हट गया है। ऐसी आपात स्थिति से अल्पकालिक छुटकारा...
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भूकम्प पूर्वानुमान अब भी चुनौती-- अभिषेक कुमार
ईरान-इराक सीमा पर कुर्द-बहुल इलाके में हाल में 7.3 तीव्रता के भूकम्प में गई सवा सौ से ज्यादा जानें अपने पीछे यह सवाल फिर छोड़ गई हैं कि क्या इसकी आहट की कोई सूचना पहले से नहीं मिल सकती! यह सवाल ज्यादा चर्चा में इसलिए है कि हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में भूकम्प की भविष्यवाणी को लेकर काफी हलचल है। इसका प्रमुख आधार कलायिल नामक एक भारतीय व्यक्ति की भविष्यवाणी...
More »जलवायु परिवर्तन से खतरे में इंसान --- डॉ गोपाल कृष्ण
जलवायु परिवर्तन की समस्या अब मानव सभ्यता के अस्तित्व के लिए बहुत बड़ा संकट बन चुकी है. दुनियाभर में करोड़ों लोग बीमारियों के शिकार हैं, फसलों की उत्पादकता पर नकारात्मक असर हो रहा है और आम जन-जीवन में कई तरह की एलर्जी की अवधि बढ़ती जा रही है. इसके बावजूद विभिन्न देशों ने इस चुनौती को लेकर लापरवाही का ही नहीं, बल्कि इसे नकारने तक की प्रवृत्ति अपनायी हुई है. संयुक्त...
More »भूख नहीं जानती सब्र-- संजीव पांडेय
दुष्यंत कुमार का शेर है : भूख है तो सब्र कर, रोटी नहीं तो क्या हुआ। आजकल संसद में है जेरे-बहस ये मुद्दआ। शायर इसमें हुक्मरानों की खिल्ली उड़ा रहा है क्योंकि वह जानता है कि भूख सब्र नहीं जानती। इसके बावजूद हमारी व्यवस्था गरीबों का इम्तहान लेती रहती है। महज कुछ दिनों के अंतर पर ही झारखंड में भूख से तीन मौतें हुर्इं; उस राज्य में जो खनिज संसाधनों...
More »भुखमरी से निपटने की चुनौती-- निरंकार सिंह
दुनिया की 7.1 अरब आबादी में अस्सी करोड़ यानी बारह फीसद लोग भुखमरी के शिकार हैं। बीस करोड़ भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या के साथ भारत इसमें पहले नंबर पर है। यह हाल तब है जब दुनिया में भरपूर अनाज और अन्य खाद्य पदार्थों की पैदावार हो रही है। दुनिया भर में कहीं गृहयुद्ध तो कहीं प्राकृतिक आपदाओं के चलते लोग अपने घरों, अपने देश से दर-बदर हो रहे...
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