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प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, कोढ़ा का हाल: 223 की जगह 25 दवा है उपलब्ध

कोढ़ा:प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोढ़ा में 223 दवाइयों के बदले मात्र 25 दवाई मरीजों के लिए उपलब्ध है. ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों का इलाज किस स्तर का होता होगा. मरीजों को चिकित्सक के द्वारा लिखी जाने वाली अधिकांश दवाएं बाहर से खरीदकर लाना पड़ता है. वैसी स्थिति में गरीब तबके के लोगों का बेहतर इलाज नहीं हो पाता है. यही नहीं...

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बेलगाम महंगाई के पोषक- विकास नारायण राय

जनसत्ता 22 अगस्त, 2014 : वित्तमंत्री अरुण जेटली के अनुसार आम लोगों के लिए बवालेजान बनी महंगाई का सीधा संबंध बाजार में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति से है। भारतीय शासकों का यह जाना-माना तर्क रहा है, जो जनता को बरगलाने वाले अगले पाखंड की जमीन भी तैयार करता है। शासकों का अगला तर्क होता है कि आम लोगों की जरूरत की चीजों की आपूर्ति जमाखोरों ने रोक रखी है और...

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मिड डे मील में छिपकली, 94 बच्चे बीमार

गम्हरिया: बड़ा गम्हरिया बस्ती स्थित राजकीय बुनियादी मध्य विद्यालय (बेसिक स्कूल) में सोमवार को मध्याह्न् भोजन में छिपकली मिली. इससे 94 बच्चे बीमार पड़ गये, जबकि स्टेशन रोड निवासी त्रिलोकी सिंह का पुत्र विक्की सिंह स्कूल में ही बेहोश हो गया. सभी छात्रों का स्थानीय पीएचसी में इलाज कराया गया. शाम पांच बजे उन्हें छुट्टी दे दी गयी. घटना दोपहर डेढ़ बजे की है. प्रधानाध्यापक नवल किशोर सिंह ने बताया...

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समग्र स्वास्थ्य नीति के आधार- रितुप्रिया

जनसत्ता 17 जून, 2014 : दुनिया भर में स्वास्थ्य सेवाओं का संकट गहरा रहा है। पिछले डेढ़ सौ सालों में बनीं यूरोप और उत्तरी अमेरिका की सेवाएं उनके लिए भी अत्यधिक महंगी और एकांगी साबित हो रही हैं। मकिंजी कंपनी ने अनुमान लगाया था कि अगर स्वास्थ्य-सेवाओं पर खर्च ऐसे ही बढ़ता रहा तो 2100 में अमेरिका को अपनी सकल आय का सत्तानबे फीसद और यूरोप को साठ फीसद स्वास्थ्य...

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विकास के मॉडल का सवाल- के पी सिंह

जनसत्ता 22 मई, 2014 : चुनाव प्रचार के दौरान विकास के बहुतेरे मॉडल विभिन्न राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों की ओर से प्रस्तुत किए गए। इससे पहले के चुनावों में भी विकास का कोई न कोई खाका पेश करके राजनीतिक दल मतदाताओं का विश्वास हासिल करते रहे हैं। इसके बावजूद ग्रामीण और दुर्गम पहाड़ी अंचलों में अधिकतर नागरिक आज भी स्वच्छ पेयजल और अन्य मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जी रहे...

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