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राजनीतिक दलों की बढ़ती वित्तीय आय में अपारदर्शी चुनावी चंदा

साल 2019 बीतते-बीतते प्रमुख राजनीतिक दलों की वित्तीय आय और इलेक्टोरल बॉन्ड यानि चुनाव में चंदे की नई व्यवस्था से जुड़ी कई खबरें और चर्चाएं सुनने को मिलीं. लोकतंत्र की बेहतरी के लिए काम करने वाली कई संस्थाओं ने और पत्रकारों ने आरटीआइ कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर चुनावी चंदा लेने के इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे अपारदर्शी तंत्र पर सवालिया निशान खड़े किए. इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगाने की मांग...

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जीरो बजट कृषि का विचार नोटबंदी की तरह घातक है- राजू शेट्टी

शून्य बजट प्राकृतिक कृषि को लेकर एक स्वाभाविक आकर्षण है क्योंकि यह कृषि जैसे मुश्किल व्यवसाय को सरलता से प्रकट करता है। शून्य बजट प्राकृतिक कृषि में जोखिम कम होता है और पूंजी की आवश्यकता नहीं के बराबर होती है। इसे विदर्भ के किसान नेता सुभाष पालेकर द्वारा गढ़ा गया है जिन्हें 2016 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। शून्य बजट प्राकृतिक कृषि को वैसा ही स्थान मिला...

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बिहार: क्या पुलिस ने फ़र्ज़ी मामला बनाकर पत्रकार रूपेश को गिरफ़्तार किया?

बीते छह जून को बिहार की गया पुलिस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर तीन नक्सलियों को जिलेटिन की छड़ और इलेक्ट्रॉनिक डेटोनेटर के साथ गिरफ़्तार करने का दावा किया. अगली सुबह बिहार के हिंदी अखबारों में ‘हथियार के साथ नक्सली गिरफ्तार' शीर्षक से खबर छपी. ये खबर इप्सा शताक्षी के पास पहुंची, तो वह सदमे में आ गईं. पुलिस ने जिन नक्सलियों को हथियार संग गिरफ्तार करने का दावा किया, उनमें...

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योगी के ख़िलाफ़ टिप्पणी: पत्रकार की गिरफ़्तारी पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ सोशल मीडिया पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोपी स्वतंत्र पत्रकार प्रशांत कनौजिया की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करने पर सहमत हो गया. जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस अजय रस्तोगी की अवकाश पीठ ने सोमवार को वकील नित्या रामकृष्णनन के इस प्रतिवेदन का संज्ञान लिया कि गिरफ्तार किए पत्रकार की पत्नी की याचिका...

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‘उच्च शिक्षा पर हमला करने का मकसद सरकारों से सवाल पूछने वालों को ख़त्म करना है’

मानवाधिकारों से जुड़े पीपुल्स कमीशन ऑन श्रिंकिंग डेमोक्रेटिक स्पेस (पीसीएसडीएस) नाम के एक समूह ने देश में शिक्षा व्यवस्था और शैक्षणिक संस्थानों पर हो रहे कथित हमलों की सच्चाई जानने के लिए अप्रैल 2018 में एक समिति (जूरी) का गठन किया गया था. इस समिति में सेवानिवृत्त जस्टिस होसबेट सुरेश और जस्टिस बीजी. कोल्से पाटिल, प्रोफेसर उमा चक्रवर्ती, अमित भादुड़ी, टीके. ओमन, वासंती देवी, घनश्याम शाह, मेहर इंजीनियर और कल्पना कन्नाबीरान...

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