1.दुनिया के किसी देश की सरकार ने ऐसी पहल नहीं की, जो हमारी सरकार करने जा रही है. 2.केंद्र सरकार ने स्पष्ट कह दिया है कि जीएम खाद्य स्वास्थ्य को किसी प्रकार से नुकसान नहीं पहुंचाते. 3.दूसरी ओर, भारत में जेनेटिक मोडिफ़ाइड फ़सलों के अपशिष्ट को खाकर कई स्थानों पर पशु मारे जा चुके हैं. भारत सरकार जिस तरह जीएम खाद्य फ़सलों को हम पर थोपने पर तुली है वह शंका का कारण...
More »SEARCH RESULT
पीपीपी से सावधान -योगेश दीवान
भूमंडीलकरण-उदारीकरण के इस काल में अचानक एनजीओ या सिविल सोसाइटी समूहों की बाढ़ आना और वह भी शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी, परिवहन और भोजन के मुद्दों पर थोड़ा शक पैदा करता है. खासकर, डब्ल्यूएसएफ की उस पूरी प्रक्रिया के बाद जो कहता था- “एक और दुनिया संभव है.” WSF इस असंभव को संभव बनाया है पीपीपी यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के उस मॉडल ने, जो न सीधा निजीकरण है न पूंजीवाद और न...
More »पालीथीन खा रहे हिरण, मारे फिर रहे चीतल-सांभर
बगहा [प.चंपारण, संजय कुमार उपाध्याय]। राज्य की इकलौती व्याघ्र परियोजना वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में हरित भूमि [ग्रास लैंड] की कमी से जंगल का कानून तो धराशायी हो ही गया है, इको टूरिज्म के फेल होने का भी खतरा बढ़ गया है। घास नहीं मिलने से जानवरों के समक्ष भूखे मरने की नौबत आ गई है। शाकाहारी जानवर पर्यटकों की फेंकी पालीथीन खाकर जीवन जोखिम में डाल रहे हैं तो मांसाहारी जानवरों को...
More »विद्रोह के केंद्र में दिन और रातें
जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...
More »इस बार भी घोंघा खाने की मजबूरी
मुजफ्फरपुर [जागरण टीम]। उत्तर बिहार में बाढ़ हर साल भूख और कुपोषण की पीड़ा लेकर आती है, लोग दाने-दाने को मोहताज हो जाते हैं, इस बार भी यही तमाशा दिखने वाला है। मधुबनी व दरभंगा के कोसी पीड़ित इस बार भी पानी के 'फल-फूल' यानी भेंठ, सारूख, कमलगोट्टा के साथ मछली, केकड़ा, कछुआ, घोंघा और सितुआ को ही आग में भूनकर खाने को विवश होंगे। तीन माह तक अन्न के दाने से वंचित रहने...
More »