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पांच तरीके से दसवीं-बारहवीं की परीक्षा, फीस में भारी अंतर

रायपुर,राज्य में छात्र-छात्राओं के लिए दसवीं-बारहवीं परीक्षा पास करने के लिए पांच तरीके से परीक्षा आयोजित की जा रही है। छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल अकेले तीन तरह की परीक्षा आयोजित करता है। इसमें नियमित परीक्षार्थी, स्वाध्यायी परीक्षा और पत्राचार परीक्षा है। तीनों परीक्षाओं के लिए प्रश्न पत्र एक जैसे हैं, लेकिन अलग-अलग फीस ली जा रही है। वहीं राज्य ओपन स्कूल और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) की परीक्षा लेने...

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सवाल विज्ञान-मुखी बनने का है-- प्रमोद जोशी

विजय माल्या के पलायन, देशद्रोह और भक्ति से घिरे मीडिया की कवरेज में विज्ञान और तकनीक आज भी काफी पीछे हैं. जबकि इसे विज्ञान और तकनीक का दौर माना जाता है. इसकी वजह हमारी अतिशय भावुकता और अधूरी जानकारी है. विज्ञान और तकनीक रहस्य का पिटारा है, जिसे दूर से देखते हैं तो लगता है कि हमारे जैसे गरीब देश के लिए ये बातें विलासिता से भरी हैं. नवंबर...

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स्वास्थ्य शिक्षा और वैकल्पिक चिकित्सा- ऋतु सारस्वत

संविधान का अनुच्छेद इक्कीस जीने का अधिकार ही नहीं देता, बल्कि सम्मान से पूर्ण स्वस्थता के साथ जीने का अधिकार देता है। पर हमारा यह अधिकार कितना सुरक्षित है? विश्व जनसंख्या में साढ़े सोलह प्रतिशत की भागीदारी निभाने वाले भारत की विश्व की बीमारियों में हिस्सेदारी बीस प्रतिशत है। भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य-व्यवस्था और स्वास्थ्य शिक्षा की आवश्यकता और प्रचलन की पहचान प्राचीन है। भारत में औपचारिक तौर पर स्वास्थ्य...

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उच्च शिक्षा में बढ़ती खाई-- शैलेन्द्र चौहान

भारत सरकार ने विश्वविद्यालय में शिक्षा हासिल करने वाले शिक्षार्थियों की संख्या 2030 तक बढ़ा कर तीस प्रतिशत करने का लक्ष्य तय कर रखा है। जबकि भारत में सिर्फ बारह प्रतिशत लोगों को ही विश्वविद्यालयों में प्रवेश मिल पाता है। वर्तमान में भारत में दूरस्थ शिक्षा (डिस्टेंस लर्निंग) यानी घर बैठे पढ़ाई करने वालों की तादाद पैंतीस लाख है। चिंताजनक बात यह कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने छात्रों और...

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बच्‍चों को सिखाना ही हो तो खुद अपना फैसला लेना सिखाएं - प्रो. कृष्‍ण कुमार

हमारी शिक्षा व्यवस्था में आज यह कमजोरी है कि हम बच्चों के अपने अनुभवों को, उनकी अपनी स्वाभाविक बोली को, जुबान को बहुत जल्दी एक मानक भाषा में या एक मानक सोच के सांचे में ढाल देना चाहते हैं। हम अपनी व्यवस्था में एक छोटे बच्चे और किशोर में फर्क नहीं कर पाते। हालांकि शिक्षक सीखते जरूर हैं शिक्षक प्रशिक्षण में कि बाल मनोविज्ञान ऐसा होता है, शिशु ऐसा होता...

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