आप अपने घर (गृह प्रदेश केरल) जा रहे हैं. जॉब्स ओन कंट्री..खुश होंगे. हंसते हैं...पर इतनी संतुष्टि कहीं नहीं मिलेगी. क्यों? झारखंड में काम करने का जितना अवसर मिला, लोगों का जितना प्यार व सहयोग मिला, खास कर मीडिया व सरकार का भी, ये सब कहीं और मिल पायेगा, इस पर मुङो शक है. झारखंड में अपने तीन साल के काम को आप कैसे आंकते हैं. कई मुद्दों पर सफलता मिली. कई बार बहुत कुंठित...
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क्या कुपोषण दूर करने में महाराष्ट्र बहुत पीछे है?
महाराष्ट्र में पाँच साल से कम उम्र के एक तिहाई से ज्यादा(34 प्रतिशत) बच्चे कुपोषण के शिकार हैं और देह की लंबाई के हिसाब से उनका वज़न मानक वज़न से कम है। यह बात हाल के एक अखिल भारतीय सर्वे में सामने आई है। जिलास्तरीय यह सर्वे 18 राज्यों तथा तीन केंद्रशासित प्रदेशों के जिलावार आंकड़ों के अध्ययन पर आधारित है। डिस्ट्रिक्ट लेवल हाऊसहोल्ड एंड फैसिलिटी सर्वे-4 नामक के इस सर्वेक्षण...
More »झारखंड का विकास मंत्र- जॉब जकारिया(यूनिसेफ, झारखंड)
झारखंड दुनिया भर के सर्वाधिक खनिज संपन्न इलाकों में से एक है. इसके अलावा जल, जंगल और जमीन के रूप में भी प्राकृतिक संसाधन है. मगर ये संसाधन मात्र ही राज्य का सामाजिक, आर्थिक और मानवीय विकास नहीं कर सकते. मानव विकास का अध्ययन करनेवाली राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के आंकड़े बताते हैं विकास के लिए झारखंड को अभी भी बहुत काम करना है और त्वरित गति से करना है....
More »गुड न्यूज: अब लड़कियां नहीं बनेंगी बालिका वधु !-- संजय
प्रभात खबर,गिरिडीह जिले के गिरिडीह प्रखंड स्थित अलगुंदा पंचायत की सलमा तरन्नुम पांच किमी दूर लेदा के टिकैत रामेश्वर प्रसाद हाई स्कूल में पढ़ती है. दसवीं कक्षा की सलमा उन किस्मतवाली बच्चियों में शामिल है, जिनको गिरिडीह जिले की हजारों बच्चियों की तरह बालिका वधु नहीं बनना पड़ता. झारखंड के देवघर जिले के बाद गिरिडीह में सर्वाधिक बाल विवाह होता है. यहां लड़कियों की शादी 14 से 17 साल के बीच...
More »घट रहा है कुपोषण, रफ्तार में तेजी की जरुरत..
कुपोषण के मोर्चे से एक अच्छी खबर! भारत केंद्रित एक सर्वेक्षण के शुरुआती निष्कर्ष हैं कि पाँच साल से कम उम्र के बच्चों में कुपोषण का स्तर साल 2005-06 से 2013-14 के बीच घटा है। सर्वेक्षण के निष्कर्ष ग्लोबल न्यूट्रीशन रिपोर्ट 2014 में संकलित किए गए हैं। (देखें नीचे दी गई लिंक और बिन्दुवार तथ्य) रैपिड सर्वे ऑन चिल्ड्रेन नाम का यह सर्वेक्षण नागरिक संगठनों, स्वास्थ्य और खाद्य-सुरक्षा विशेषज्ञों की निरंतर...
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