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श्रम क़ानूनों में ढील देने से बाल मज़दूरी बढ़ेगी

-द वायर, गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के गठबंधन ने लॉकडाउन के बाद श्रम कानूनों में ढील देने से महिला श्रमिकों पर दुष्प्रभाव पड़ने और श्रमबल में बाल मजदूरों की शामिल होने की आशंका जताई है और सरकार से विधेयक की समीक्षा करने की अपील की है. गठबंधन- वर्किंग ग्रुप ऑन वुमेन इन वैल्यू चैन्स (डब्ल्यूआईवीसी) ने रेखांकित किया है कि कैसे आर्थिक विकास की गति बढ़ाने के लिए विभिन्न स्तर पर दी...

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‘ग़रीबी ऐसी है कि मेरे मरने के बाद परिवार के पास अंतिम संस्कार के पैसे भी नहीं होंगे’

द वायर,  ‘उई दिन अच्छे भले उठल रहलन. खाना बनाइके हम पूछलीं कि खा लेईं. बोलनन अभी नाहीं खाइब. नहा के खाइब. नहाइन धोइन अउर बिना कछु कहले बाहर निकल गइन. हम समझी बीड़ी लेवे गइल होइहें. जबसे घर आइल रहिस बहुते कम बाहर जाइस. कभो कभार खाली बीड़ी लेवे बाहर निकलैं. खाना परोस हम राह देख लगौं. देर होके लगी तो पता कइनी कि कहीं भाई के घर त नाहीं...

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“महामारी को सरकार ने महात्रासदी में बदला”

-आउटलुक, पहले चंद्रशेखर सरकार और फिर अटलबिहारी वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री और फिर विदेश मंत्री जैसा अहम जिम्मा संभाल चुके 83 वर्षीय यशवंत सिन्हा 2014 के बाद से ही दलगत राजनीति से बाहर हैं लेकिन बतौर सार्वजनिक शख्सियत वे आज भी सक्रिय हैं। हाल में लॉकडाउन के दौरान गरीब और प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा के खिलाफ उन्होंने राजघाट पर लगभग 11 घंटे का धरना और गिरफ्तारी दी। उनकी मांग है कि मजदूरों...

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हाल-फिलहाल में जारी हुई अधिकांश रिपोर्टें बता रही हैं कि अर्थव्यवस्था का पहिया थमने वाला है!

अंतरराष्ट्रीय थिंक टैंक, आधिकारिक एजेंसियों और निजी संस्थाओं द्वारा जारी की गईं अधिकांश रिपोर्टें और अध्ययन कोरोनवायरस महामारी से अर्थव्यवस्था और समाज पर पड़ने वाले प्रलयकारी प्रभावों की तरफ इशारा करते हैं. उनका अनुमान है कि दुनिया भर के विभिन्न देशों द्वारा COVID -19 (यानी सोशल डिस्टेंसिंग और क्वॉरंटीन) को कम करने के लिए लगाए गए लॉकडाउन आर्थिक क्षेत्रों से संबंधित आर्थिक विकास को प्रभावित करेंगे और अधिकांश क्षेत्रों में...

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कोविड-19 संकट के बीच मजदूरों को आर्थिक सहयोग देने की वित्तीय क्षमता रखती है भारत सरकार

-द प्रिंट,  कोरोनावायरस केंद्र और राज्य सरकारों के लिए नई चुनौती बन कर सामने आया है. इसके मद्देनजर अर्थशास्त्रियों ने भी सरकार के सामने कई तरह के सुझाव रखे हैं. आर्थिक विशेषज्ञों ने एक बात स्पष्टता से रखी है- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित सहयोग पैकेज कामगार जनता को भूख से बचाने के लिए पर्याप्त नहीं है और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के आगे बहुत छोटा है. यूनिवर्सल बेसिक इनकम (यूबीआई), अन्न...

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