समाज के विभिन्न तबकों के लिए भोजन के अधिकार को लेकर काम कर रहे हम जैसे पंद्रह युवाओं का एक समूह पिछले हफ्ते कुछ सांसदों से मिला। इसकी वजह थी, संशोधित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक पर उनसे चर्चा करना और इसे बेहतर बनाने का प्रयास करना। हमने तकरीबन सौ से अधिक सांसदों का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उनमें से महज 20 सांसदों से ही मुलाकात हो सकी। कई सांसद अपने निर्वाचन क्षेत्रों...
More »SEARCH RESULT
क्या कागजी ही रहेगा बालश्रम कानून- किशोर
जनसत्ता 30 अप्रैल, 2013: मंत्रिमंडलीय समितिद्वारा बालश्रम (प्रतिबंधन एवं विनियमन) अधिनियम, 1986 में संशोधन को मंजूरी दिए छह महीने से ज्यादा हो गए हैं, पर अभी तक यह संसद के दोनों सदनों में पास नहीं हो पाया है। इस संशोधन को राज्यसभा में पेश भी किया जा चुका है, पर मामला उससे आगे नहीं बड़ा है। इस अधिनियम में संशोधन के बाद चौदह वर्ष से कम आयु के बच्चों से...
More »पानी के संकट से जूझता देश
महाराष्ट्र और गुजरात में जारी सूखे की स्थिति से यह अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है कि आने वाले दिनों में पानी की उपलब्धता का मुद्दा और गंभीर हो सकता है और पानी की किल्लत कई किस्म के संघर्षों की जननि साबित हो सकती है। भारत आज विश्व में भूमिगत जल का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। बहरहाल यह बात दिन के उजाले की तरह साफ हो चुकी है कि जिस रीति...
More »सुप्रीम कोर्ट का फैसला और सस्ती दवाइयों का मुद्दा
रक्त-कैंसर रोधी महंगी और पुरस्कार प्राप्त दवा ग्लीवेक से जुड़े पेंटेंट अधिकार की भारत में रक्षा की जाय- दवा बनाने वाली मशहूर नोवार्टिस कंपनी ने यह गुहार लगायी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इसे खारिज कर दिया।कोर्ट के फैसले के बाद एक दफे फिर से देश में यह बहस शुरु हो गई है कि सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था लचर है और सरकार की स्वास्थ्य नीति हर जरुरतमंद को...
More »झूठी, एकतरफा और मनगढ़ंत!-प्रेस काउंसिल बिहार रिपोर्ट ( क्षमा के साथ)
प्रेस काउंसिल बिहार रिपोर्ट क्षमा के साथ भारतीय प्रेस परिषद (प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया) की किसी रिपोर्ट के लिए पहली बार यह विशेषण हमने इस्तेमाल किया कि प्रेस परिषद की बिहार रिपोर्ट झूठी है, एकतरफा है, मनगढ़ंत है या पूर्वग्रह से ग्रसित है. या किसी खास अज्ञात उद्देश्य से बिहार की पत्रकारिता और बिहार को बदनाम करने के लिए यह रिपोर्ट तैयार की गयी है. हम ऐसा निष्कर्ष तथ्यों के आधार पर निकाल...
More »