कभी हमारे घरों को अपनी चीं..चीं से चहकाने वाली गौरैया अब नजर नहीं आतीं हैं। करीब 10 सालों से यह घरेलू पक्षी शहर से विलुप्त हो चुकी है। गांवों की तरफ भी कभी- कभार चहचहाहट सुनाई पड़ती है। घरों की बदलती डिजाइन, इलेक्ट्रिक पंखे समेत कई ऐसे कारण हैं जो नन्हीं गौरैया को बेदखल करने के लिए जिम्मेदार है। वन विभाग ने भी कभी इनके संरक्षण की दिशा में ठोस...
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आदिवासी अस्मिता का सवाल-- डा. अनुज लुगुन
आज दुनिया की कई भाषाएं मरने के कगार पर इसलिए खड़ी हैं, क्योंकि वैश्विक दुनिया के मानकों के अनुसार वे लाभकारी नहीं हैं. वैश्वीकरण के मुनाफे की इस प्रवृत्ति ने भाषाओं के बीच जो दूरी पैदा की है, वह पहले कभी नहीं थी. पहले भी भाषाएं मरती रही हैं, लेकिन उसके कारण के रूप में मुनाफे वाली मानसिकता नहीं रही है. भाषाओं का यह संकट सामान्य रूप से भी...
More »आधार बिल :राष्ट्रहित में साझा होंगी आपकी गोपनीय सूचना
नयी दिल्ली : संसद ने 'आधार' के जरिये कल्याण योजनाओं का लाभ लाभार्थियों तक सीधे पहुंचाने वाले विधेयक को बुधवार को मंजूरी दे दी. सरकार की ओर से धन विधयेक के रूप में रखे गये इस विधेयक में राज्यसभा ने पांच संशोधनों के साथ लोकसभा को लौटा दिया. बाद में लोकसभा ने इन संशोधनों को अस्वीकार कर दिया. इससे पहले लोकसभा आधार विधेयक 2016 को शुक्रवार को पारित...
More »कल्याण योजनाओं का लाभ आधार से
संसद ने आज ‘आधार' के जरिये कल्याण योजनाओं का लाभ लाभार्थियों तक सीधे पहुंचाने वाले आधार विधेयक को मंजूरी दे दी। सरकार द्वारा धन विधयेक के रूप में रखे गए इस विधेयक में राज्यसभा ने पांच संशोधनों के साथ लोकसभा को लौटा दिया था, हालांकि निचले सदन ने इन संशोधनों को अस्वीकार कर दिया। इससे पहले लोकसभा आधार विधेयक 2016 को शुक्रवार को पारित कर चुकी थी। राज्यसभा में जहां सत्तारूढ़...
More »बुंदेलखंड का एक ऐसा बांध जिसकी एकमात्र उपलब्धि किसानों को भिखारी बनाना है- विनय सुल्तान
सुबह के आठ बज रहे हैं. 72 साल के कल्लन तेज कदमों से गांव की मुख्य सड़क की तरफ बढ़ रहे हैं. हमसे मुलाकात करने की वजह से उन्हें काफी देर हो चुकी है. वे किसी भी हाल में मऊरानीपुर (झांसी जिले का एक कस्बा) जाने वाली पहली बस छोड़ना नहीं चाहते. कल्लन ऐन वक़्त पर बस स्टैंड पहुंचते हैं. एक मिनट की देरी उन्हें दो घंटे लंबे इंतजार की...
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