पटना : कालीकरण (टॉप ब्लैक) के चक्कर में राज्य में 20 हजार किलोमीटर ग्रामीण सड़कों के निर्माण का काम फंस गया है. केंद्र सरकार राज्य से पहले स्वीकृत सड़कों का हिसाब मांग रही है. बिना उपयोगिता प्रमाणपत्र लिये केंद्र आगे की राशि देने को तैयार नहीं है. इधर, राज्य सरकार का कहना है कि राज्य में बननेवाली सड़कों का निर्माण कई चरणों में फंसा हुआ है. केंद्र से समय पर...
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जान बचाने भागता ये 'मोबाइल गेटकीपर'- पी साईनाथ
वह किसी तेज़ धावक की तरह 200 मीटर की दूरी को गोली की गति से पूरा करते हैं. हम उसके पीछे ऊबड़-खाबड़ रास्ते पर गिरते-पड़ते भागते हैं. वह मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग पर पहुंचते हैं और लाल झंडे को लहराते हुए रेलवे फाटक को बंद करते हैं. इसकी उम्मीद हममें से किसी को भी नहीं थी. तभी वे फिर ट्रेन की ओर घूमते हैं और ट्रेन को हरी झंडी दिखाते हैं. ट्रेन आगे बढ़ती...
More »नक्सली दहशत के चलते गांव छोड़ गए आदिवासी लाए जाएंगे वापस
जगदलपुर (ब्यूरो)। नक्सल दहशत के चलते अपना घरबार छोड़कर पड़ोसी प्रदेशों में कई वर्षों से निर्वासित जीवन गुजार रहे दक्षिण बस्तर के आदिवासियों को सुरक्षित उनके गांव लाकर फिर से बसाने की कवायद की जा रही है। गांव छोड़कर गए ज्यादातर ग्रामीण सुकमा जिले के कोंटा ब्लॉक के हैं। लगभग 25 हजार आदिवासी कोंटा से सटे तेलंगाना के खम्मम व वारंगल जिले के ग्रामीण इलाकों में रह रहे हैं। आडिशा के...
More »ओझल आदिवासी समाज- विनोद कुमार
जनसत्ता 26 अगस्त, 2014 : आदिवासी समाज के बारे में इधर हमारी दृष्टि बदली है। बावजूद इसके आदिवासी बहुल इलाकों के बाहर आदिवासी समाज के बारे में अब भी एक कौतूहल का भाव रहता है। इस परिप्रेक्ष्य में यह जानना दिलचस्प होगा कि गैर-आदिवासी समाज आज भी आदिवासी समाज को किस रूप में देखता है। राजनेताओं की नजर में आदिवासी समाज की अहमियत क्या है, इसे हम कुछ उदाहरणों से...
More »बेलगाम महंगाई के पोषक- विकास नारायण राय
जनसत्ता 22 अगस्त, 2014 : वित्तमंत्री अरुण जेटली के अनुसार आम लोगों के लिए बवालेजान बनी महंगाई का सीधा संबंध बाजार में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति से है। भारतीय शासकों का यह जाना-माना तर्क रहा है, जो जनता को बरगलाने वाले अगले पाखंड की जमीन भी तैयार करता है। शासकों का अगला तर्क होता है कि आम लोगों की जरूरत की चीजों की आपूर्ति जमाखोरों ने रोक रखी है और...
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