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हाशिये का समाज और राज- हरिराम मीणा

जनसत्ता 11 मार्च, 2013: किसी भी राष्ट्र-समाज के उन घटकों के सम्मिलित समाज को हाशिये का समाज कहा गया है, जो अगुआ तबके की तुलना में सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक स्तर पर किन्हीं कारणों से पीछे रह गया है। इस सामान्यीकृत परिभाषा को विस्तार से समझने से पहले हाशिये शब्द पर थोड़ा विचार करना जरूरी है। किसी पृष्ठ में हस्तलेखन या टंकण करने से पूर्व शीर्ष पर और मुख्य रूप से बार्इं ओर...

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अच्छा कानून दिखावटी अमल- सुभाष गताडे

जनसत्ता 7 मार्च, 2013: सोनिया गांधी की अगुआई में बनी राष्ट्रीय सलाहकार परिषद ने पिछले दिनों अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 को अधिक सशक्त बनाने के मकसद से सरकार के सामने अपनी सिफारिशें पेश कीं। दलितों और आदिवासियों पर सामाजिक बहिष्कार लागू करना, साझे संसाधनों के उनके इस्तेमाल पर रोक लगाना, मंदिरों में उनके प्रवेश को प्रतिबंधित करना जैसे मसलों पर कानूनी कार्रवाई करने का सुझाव इन सिफारिशों...

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क्या विरोध का ढंग बदल सकता है- गिरिराज किशोर

जनसत्ता 5 मार्च, 2013: इक्कीस-बाईस फरवरी का भारत-बंद लगभग सफल हुआ। उसके लिए श्रमिक संगठनों को बधाई। लेकिन इस महाबंद ने मन में कई सवाल उठा दिए। बंद होते रहते हैं। दो मुख्य तर्क इनके पीछे हैं। एक, मजदूरों या कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा, और दूसरा, अपने अधिकारों की शांतिपूर्ण और सामूहिक अभिव्यक्ति। दोनों बातें अपनी जगह सही हैं। मजदूर के अधिकार का संरक्षण होना जरूरी है। लेकिन असंगठित मजदूर...

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आठ वर्ष में दूध का उत्पादन 80 मिलियन बढ़ाना होगा

अहमदाबाद [शत्रुघ्न शर्मा]। भारत में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 291 ग्राम है जबकि विकसित देशों में 500 ग्राम है, बढ़ती जनसंख्या के साथ देश को अगले आठ वर्ष में दूध का उत्पादन 80 मिलियन टन बढ़ाना होगा। भारत सरकार ने इसके लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड को नेशनल डेयरी योजना सौंपी है जिसके तहत जानवरों की नस्ल सुधार के साथ दूध के उत्पादन को बढ़ाया जाएगा, देश के 40 हजार...

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जहां वे सेतु बनते हैं- मिहिर पंड्या

जनसत्ता 1 फरवरी, 2013: गणतंत्र दिवस की सुबह। जयपुर साहित्य उत्सव के उस सत्र का शीर्षक था ‘विचारों का गणतंत्र’। आशीष नंदी ने पहले उदाहरण देकर विस्तार से समझाया कि क्यों एक सवर्ण अभिजात का भ्रष्टाचार हमारी बनाई ‘भ्रष्टाचार’ की मानक परिभाषाओं में फिट नहीं होता और क्यों सिर्फ दलित का भ्रष्टाचार नजर आता है। इसलिए जब उन्होंने यह कहा कि भ्रष्टाचारियों का बहुमत वंचित जातियों से आता है तो उन्होंने अपनी...

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