जातियों का उद्भव राजनीति के लिए नहीं हुआ था। मगर आज जातियां भारतीय राजनीति को आधार दे रही हैं। कहते हैं कि जातियों का उद्भव व्यवसायों व पेशों से जुड़ा था। पहले पेशे से ही जातियां निर्धारित होती थीं। फिर ये ‘जन्मना' अर्थात जन्म से जुड़ गईं। आज के दौर में, जब जातियों को ‘पहचान ' से जोड़कर उनका आक्रामक राजनीतिक इस्तेमाल किया जाने लगा है, तब इनकी एक नई...
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सोशल मीडिया नहीं, हमें सुधरना होगा-- हरजिंदर
वे अपने-अपने ढंग से सफाई में जुट गए हैं। ट्व्टिर ने उन एकाउंट को बंद करना शुरू कर दिया है जो उसके हिसाब से फर्जी हैं। व्हाट्सएप ने अपने नए अपडेट के साथ ऐसी व्यवस्था की है कि अब अगर कोई संदेश फॉरवर्ड होगा तो पता पड़ जाएगा कि यह मूल रूप से तैयार किया हुआ संदेश नहीं है बल्कि इधर का माल उधर है। हालांकि इन सबका बड़ा नतीजा...
More »तेल आयात व भारत-ईरान संबंध-- पुष्पेश पंत
अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने पूर्व राष्ट्रपति ओबामा द्वारा ईरान के संपन्न परमाणु समझौते को न केवल खारिज कर दिया है, बल्कि ईरान के विरुद्ध कड़े आर्थिक प्रतिबंध भी लागू करने की घोषणा की है. जो बात और भी चिंताजनक है, वह यह कि ट्रंप ने अपने सभी संधि मित्रों और अन्य देशों को यह चेतावनी दी है कि यदि उन्होंने ईरान के साथ अपने आर्थिक संबंधों को यथावत...
More »गरीबी में गिरावट संतोषजनक--- अजीत रानाडे
अंतरराष्ट्रीय रूप से सुप्रसिद्ध ब्रूकिंग्स संस्थान की एक रिपोर्ट यह बताती है कि भारत में गरीबी में नाटकीय गिरावट आयी है. मई 2018 के आकड़े लिये जाएं, तो भारत में घोर दरिद्रता की स्थिति में रहनेवालों की संख्या 7.30 करोड़ है, जबकि नाइजीरिया में ऐसे लोगों की तादाद 8.70 करोड़ है. ऐसा पहली बार हुआ है कि अपनी जनसांख्यिक विशालता के बावजूद भारत में अत्यंत निर्धनों की संख्या विश्व में...
More »कर्नाटक के विनाश की नई राह-- रामचंद्र गुहा
यह 1989 की बात है जब मैं शिवराम कारंथ से उनके दक्षिण कर्नाटक स्थित गांव सालिग्राम में मिला था। आधुनिक कन्नड़ उपन्यास के जनक, यक्षगान जैसे प्राचीन नृत्य नाटक का पुनर्पाठ प्रस्तुत करने वाले, विधवा विवाह और स्त्री शिक्षा को बढ़ावा देने वाले शिवराम कारंथ उन दिनों अपने प्यारे पश्चिमी घाटों को विनाश से बचाने की मुहिम में जुटे थे। 80 साल की उम्र में भी वे खासे सक्रिय रहकर...
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