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इस गांव के घरों में नहीं लगते दरवाजे

इलाहाबाद। आज के समय में जहां बढ़ती चोरी और लूट की घटनाओं से सबक लेकर लोग अपने घरों में सुरक्षा के लिए विभिन्न प्रकार के पुख्ता इंतजाम करते हैं, वहीं उत्तर प्रदेश में एक ऐसा गांव है, जहां स्थानीय लोग अपने घरों में दरवाजे तक नहीं लगाते। उनकी मान्यता है कि मां काली उनके घरों की रक्षा करती हैं। इलाहाबाद जिले के कोरांव क्षेत्र स्थित दलित बहुल सिंगीपुर गांव के मकानों में यह समानता देखने...

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रोटी को तरसते लोग, गोदामों में सड़ते अनाज

नई दिल्ली [उमा श्रीराम]। करीब 70 वर्ष पहले चर्चित कवि सुब्रमण्यम भारती ने यह कहकर हलचल मचा दी थी कि यदि दुनिया में एक भी आदमी भूखा है तो इस विश्व को ही नष्ट कर दो। भारती जी ने तभी भारत की आजादी को देख लिया था और उन्होंने आधुनिक भारत, युवा वर्ग व महिलाओं को समर्पित करते हुए कई कविताएं रच डाली थी। पर दुर्भाग्य से वे यह कल्पना भी नहीं कर सके...

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ग्रामीण अर्थव्यवस्था कैसे संभली रही?- पाणिनी आनंद

ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था ने भी भारत को आर्थिक संकट के दौर में स्थिर रखने में मदद दी वैश्विक आर्थिक मंदी के दौर में भारत के ग्रामीण विकास और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बारे में जानी मानी अर्थशास्त्री जयति घोष कहती हैं कि जहां संयुक्त प्रगतिशील गंठबंधन सरकार की पहली पारी गंभीर और सकारात्मक रही, वहीं दूसरी पारी में सरकार कम गंभीर नज़र आ रही है. उनका मानना है कि सरकार की कुछ तैयारियों और बदलावों के...

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एक पखवाड़े में पांच श्रमिकों की मौत, 15 घायल

राउरकेला। सुंदरगढ़ जिले में स्थित औद्योगिक इकाइयों में दुर्घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। इस पखवाड़े काम के दौरान दुर्घटना में 5 श्रमिकों की मौत एवं 15 से अधिक घायल हुए हैं। श्रमिक नेता इसके लिए प्रबंधन व फैक्ट्री एंड ब्रायलर विभाग को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, वहीं प्रबंधन व सुरक्षा विभाग अधिकारी व्यक्तिगत भूल के कारण दुर्घटना होने की बात कह रहे हैं। सुरक्षा की अनदेखी करने वाले संयंत्रों के खिलाफ मुकदमा कर कार्रवाई भी की...

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नाम-काम से तो विशेष मगर हैं बेकदर

नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। आतंकियों की गोली खाने में किसी से पीछे नहीं रहते। इस बात की गवाह है दंतेवाड़ा में शहादत। पुलिस और सुरक्षा बलों के लिए आंख-कान का काम भी करते हैं। लेकिन सुविधाओं के नाम पर मिलता है मामूली मानदेय का झुनझुना। कहलाते हैं एसपीओ यानी विशेष पुलिस अधिकारी। कई राज्यों में तो वे पहचान के मोहताज होते हैं। जहां की सरकार ज्यादा मेहरबान है, वहां मानदेय के नाम पर तीन हजार...

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