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असम के आंगनवाड़ी केंद्रों में 14 लाख फर्जी बच्चे : मेनका गांधी

असम में आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों के 14 लाख फर्जी नाम पाए गए हैं। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने गुरुवार को यह जानकारी दी। असम सरकार ने जून में एक अभियान चलाया था जिसके तहत आंगनवाड़ी केंद्रों में मौजूद बच्चों की संख्या का भौतिक सत्यापन किया गया। जब उसका पंजीकृत बच्चों की संख्या से मिलान किया गया तो करीब 14 लाख बच्चे कम मिले। मंत्री ने कहा...

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पंजाब में अब सरकार तय करेगी किसानों के कर्ज की सीमा

चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा का सत्र शुरू होने से एक दिन पहले सरकार ने महत्वपूर्ण फैसला किया है। किसानों को कर्ज से छुटकारा दिलाने के लिए कैबिनेट ने कर्ज निपटारा एक्ट 2016 में दो महत्वपूर्ण संशोधन किए हैं। किसानों को प्रति एकड़ कितना कर्ज दिया जाए अब सरकार तय करेगी। किसानों को अंधाधुंध कर्ज देने वाले आढ़ती व गैर संस्थागत वित्तीय संस्थानों पर सरकार अब नकेल डालेगी। सरकार अब प्रति एकड़ कर्ज की...

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प्रभात खबर से खास बातचीत: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा, किसानों से किये गये सभी वायदे हुए हैं पूरे

छात्र जीवन से ही विद्यार्थी परिषद, जनसंघ काल में ही राजनीति से जुड़े आरएसएस के स्वयंसेवक राधा मोहन सिंह बिहार के पूर्वी चंपारण से पांच बार सांसद चुने गये हैं. वह ‍भाजपा के संगठन में लंबे समय तक काम कर चुके हैं. किसानों को सशक्त बनाने की दिशा में लक्ष्य तय करने, देश में मौजूदा समय में कृषि के समक्ष चुनौतियों, किसानों की आय दोगुनी करने तथा कृषि से जुड़े...

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न्याय की प्रतीक्षा में आदिवासी!- सी आर मांझी

भारतीय संविधान के आधार पर आदिवासियों की पहचान को अनुसूचित जनजातियों के नाम से जाना जाता है. परंतु यह सर्वज्ञात है कि भारत की आजादी के पूर्व और आजादी के बाद भी व्यावहारिक दृष्टिकोण से आदिवासी समुदाय में कोई विशेष परिवर्तन नहीं आया है. यह समाज अपने स्तर से अपनी असली आदिवासी की पहचान एवं परिचय को संजोकर आदिम परंपरागत निष्ठा, निश्छलता, आदर्श एवं धार्मिक आस्था को बनाये रखा...

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क्रांति जिससे आजादी की राह निकली-- मृदुला मुखर्जी

‘भारत छोड़ो' (क्विट इंडिया) के नारे के साथ 1942 में ‘अगस्त क्रांति' की शुरुआत हुई थी। इस आंदोलन में हर तबके के लोगों ने हिस्सा लिया। किसानों, महिलाओं, छात्रों, नौजवानों के साथ-साथ विभिन्न विचारधारा के लोगों ने इसमें शिरकत की और अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। वह दूसरे विश्व युद्ध का समय था और लोगों के लिए कठिन माहौल था। ब्रिटिश सरकार ने तमाम तरह के सख्त कानून थोप दिए थे...

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