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देश में गरीबों की मदद के लिए 65,000 करोड़ रुपये की जरूरत होगी: रघुराम राजन

-द वायर,  जाने-माने अर्थशास्त्री और भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने बृहस्पतिवार को कहा कि लॉकडाउन (बंद) हमेशा के लिए जारी नहीं रखा जा सकता और अब आर्थिक गतिविधियों को खोलने की जरूरत है ताकि लोग अपना काम-धंधा फिर शुरू कर सकें. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम सावधानीपूर्वक उठाया जाना चाहिए. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद में उन्होंने...

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लॉकडाउन में असली कोरोना वारियर तो ये ‘सौतेले’ मजदूर ही हैं, जिनके दम पर भरे हैं अनाज के गोदाम

-द प्रिंट,  देश के मजदूरों की वर्तमान पीढ़ी को शायद ही मालूम हो कि इसमें हर एक मई को मजदूर दिवस मनाने की परम्परा 1923 में इसी दिन गठित लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान ने मद्रास (अब चेन्नई) में शुरू की थी, जिसका उद्देश्य दुनियाभर के मजदूरों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करना था. तब से अब तक शायद ही कभी ऐसा वक्त आया हो, जब मजदूर दिवस पर मजदूर इतनी विपरीत...

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उत्तर प्रदेश में गेहूं की खरीद ढीली, किसान समर्थन मूल्य से 250 रुपये तक नीचे बेचने को मजबूर

-आउटलुक, देश के सबसे बड़े गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं की खरीद ढीली होने के कारण किसानों को 1,775 से 1,850 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर गेहूं बेचना पड़ रहा है जबकि केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2020-21 के लिए गेहूं का एमएसपी 1,925 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। बहराइच जिले की तहसील मोतीपुर के गांव महेशपुर के किसान कुलदीप...

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जल संकट से बढ़ेगा कृषि संकट

-इंडिया वाटर पोर्टल,  प्रांरभ से ही भारत में खेती की जा रही है। भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है। देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि ही है, जहां 51 प्रतिशत भाग पर कृषि,  4 फीसद पर चारागाह, 21 फीसदी पर वन और 24 बंजर भूमि है। देश के 52 प्रतिशत भाग की आजीविका कृषि और इससे संबंधित उद्योगों व कार्यों पर निर्भर है। चीन के बाद भारत गेंहू और...

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हरियाणा: लॉकडाउन की भारी क़ीमत चुका रहे नूंह के ये ग़रीब परिवार

द वायर, देशव्यापी लॉकडाउन की अवधि 19 दिनों तक बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री ने गरीबों को हो रही तकलीफों पर खेद जताया था. समाज का मिडिल क्लास तमाम चुनौतियों को झेलने के बावजूद भी इसे जरूरी क़दम बता रहा है. यह मिडिल क्लास उन तकलीफों को नहीं समझ रहा, जिससे बेघर मजदूर और गरीब लोग गुजर रहे हैं. ये लोग भूख से उपजी तड़प को नहीं समझते. देश का हर वंचित तबका इस...

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