SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 2103

औरतों की आजादी का कारवां-- शशिशेखर

तीन तलाक को जो लोग महज मुस्लिम हक-हुकूक का मुद्दा बनाने पर आमादा हैं, उनसे अनुरोध है कि एक बार वे अपनी हिन्दुस्तानी परंपरा में झांक देखें, उनकी सारी शंकाओं का समाधान मिल जाएगा। जन-जागरण और बदलाव हमारे देश में रवायत रही है। परिवर्तन की यह अनवरत कामना भले ही कभी-कदा अदालत अथवा हुकूमत के जरिए आकार लेती दिखाई पडे़, पर मूलत: भारतीय समाज आत्मालोचन के जरिए आगे बढ़ने का अभ्यस्त...

More »

पुनर्वास में अहम भूमिका निभा रहीं आधुनिक संचार सेवाएं

दुनियाभर में अनेक कारणों से पिछले वर्ष लगभग 6.56 करोड़ लोगों को जबरन अपने घरों से विस्थापित होना पड़ा. दुर्भाग्यवश यह संख्या लगातार बढ़ रही है. वर्ष 2000 से 2016 के बीच दुनियाभर में करीब 3.5 अरब लोग प्राकृतिक आपदाओं और मानव जनित त्रासदियों की चपेट में आये थे. विस्थापितों की जिंदगी को दोबारा पटरी पर लाने और वांछित आपदाओं से कारगर तरीके से निपटने के लिए स्थायी समाधान खोजने...

More »

अंधविश्वास व अंधभक्ति का बाबा -- आशुतोष चतुर्वेदी

जो व्यक्ति बड़ी-बड़ी विदेशी कारों में चलता हो, फिल्में बनाता हो, उनमें हीरो की भूमिका भी खुद ही निभाता हो, खुद को बाबा कम रॉक स्टार अधिक मानता हो, जिस पर रेप का आरोप सिद्ध हो गया हो, जिसकी जीवनशैली राजा महाराज की तरह हो, जिसमें आध्यात्मिक गुरू का कोई तत्व न हो, ऐसा व्यक्ति क्या बाबा कहलाने लायक है? रेप के आरोप में राम रहीम को दोषी करार...

More »

लोकतंत्र और पूंजी के रिश्ते-- मृणाल पांडे

यह कोई राज नहीं कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने चुनाव प्रचार के दिनों से ही अपने धुर दक्षिणपंथी विचारों और उग्र समर्थकों की भीड़ को लेकर विवादों से घिरे रहे हैं. उनकी बेलगाम बयानबाजी को लेकर देश के उदारवादी लोगों और खुद व्हाॅइट हाउस के स्टाफ की बेचैनी अब बढ़ती जा रही है. हाल में वर्जीनिया प्रांत के शारलौट्सविल शहर में (गुलामी प्रथा तथा नस्लवाद के पक्षधरों के प्रतीक)...

More »

स्वास्थ्य व्यवस्था की दुर्दशा -- प्रो. योगेन्द्र यादव

स्वतंत्रता दिवस पर रेडियो गाना बजा रहा था- ‘आओ बच्चों तुम्हें दिखायें झांकी हिंदुस्तान की...' मेरा मन बार-बार गोरखपुर के उन बच्चों की तरफ जा रहा था, जो हिंदुस्तान की झांकी देखे बिना ही विदा हो गये. बिना इस मिट्टी से तिलक किये, बस ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ गये. ...ये धरती है बलिदान की! मैं सोचने लगा. काश स्वास्थ्य के मुद्दे पर राजनीति होती! काश सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close