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हम जाति का ज़हर फिर क्यों पिएं?- वेद प्रताप वैदिक

मुझे आश्चर्य है कि भाजपा सरकार के मंत्रिमंडल ने ऐसा राष्ट्र-विरोधी निर्णय कैसे कर लिया? जातीय जनगणना को कांग्रेस सरकार ने अधबीच में बंद कर दिया था, लेकिन इस गणना के जो भी अधकचरे आंकड़े इकट्‌ठे हुए हैं, सरकार उन्हें प्रकट करने के लिए तैयार हो गई है। वह इन्हें अगले साल तक प्रकाशित करेगी। तब तक राज्य-सरकारों की रपट भी उसके पास आ जाएगी और जो आंकड़े उसके पास...

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गांव और गरीब की चिंता कब?- अश्विनी महाजन

भारत सरकार द्वारा वर्ष 2011 में हुई जनगणना के आर्थिक, सामाजिक गणना के आंकड़े हाल ही में प्रकाशित किये गये हैं. ये आंकड़े भारत में गरीबों की वर्तमान दुर्दशा की कहानी बयान कर रहे हैं. चिंता का विषय केवल यह नहीं है कि गरीबों की हालत खराब है, बल्कि वह पहले से तेज गति से बदतर होती जा रही है. गौरतलब है कि अभी ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ही ये...

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खुले में शौच: तादाद में चालीस करोड़ की कमी लेकिन पड़ोसियों से पीछे

बीते पच्चीस सालों में खुले में शौच करने वाले लोगों की संख्या कम करने की रफ्तार के लिहाज से भारत पड़ोसी नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान से पीछे है. यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में 1990 से 2015 के बीच खुले में शौच करने वालों की संख्या में 31 फीसदी की कमी हुई है जबकि पड़ोसी नेपाल में (56 प्रतिशत), पाकिस्तान(36 प्रतिशत), बांग्लादेश(33 प्रतिशत) में यह रफ्तार...

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भूमि अधिग्रहण कानून में सुधार: वास्तविक तस्वीर-- अरुण जेटली

सरकार ने 31 दिसंबर 2014 को भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनरुद्धार संशोधन कानून, 2013 में उचित मुआवजे के अधिकार और पारदर्शिता के कुछ प्रावधानों में संशोधन के लिए अध्यादेश जारी किया। आखिरकार इस कानून में संशोधन की क्या जरूरत पड़ी और इन संशोधनों के क्या मायने हैं? इस बात का बार-बार उल्लेख होता रहा है कि भूमि अधिग्रहण कानून, 1894 पुराना पड़ चुका है और इसमें संशोधन की जरूरत है। 1894...

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गरीबी से अमीरी के सफर में कहीं खो जाती है सेहत

न्यूयॉर्क। गरीबी के परिवेश में पैदा होने वाले बच्चे बेशक अपनी मेहनत से सफलता की सीढ़ियां चढ़ जाते हैं, लेकिन यह सफलता अक्सर उन्हें उनकी सेहत की कीमत पर मिलती है। एक नए शोध के अनुसार गरीबी में पैदा होने के बाद सफलता का मुंह देखने वाले युवाओं में बुढ़ापे के चिह्न भी जल्द दिखने लगते हैं। कई मामलों में तो ऐसे युवाओं का जीवन उनके समकालीनों की अपेक्षा काफी छोटा...

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