-न्यूजक्लिक, अमरावती (महाराष्ट्र): "यहां यदि आप कोरोना के बारे में बातचीत करेंगे तो पता चलेगा कि लोग सरकारी अस्पताल जाने को तैयार नहीं हैं। कारण यह है कि लोगों को लगता है कि उन्होंने कोरोना का इलाज यदि सरकारी अस्पताल में कराया तो डॉक्टर उन्हें जिला अस्पताल अमरावती भेज देंगे, जहां उनका कोई इलाज नहीं होगा और वहां उन्हें बीमार रखे-रखे मार दिया जाएगा। फिर मौत के बाद उनकी लाश तक घर...
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बस्तर में पुलिस गोलीबारी में तीन गोंड प्रदर्शनकारियों की मौत पर बेला भाटिया और ज्यां द्रेज का बयान
17 मई को बस्तर के सिलगर में पुलिस फायरिंग में गोंड जनजाति के तीन प्रदर्शनकारी मारे गए. कवासी वागा, उर्सम भीमा और नाबालिग उइका पांडु गांव की सहमति लिए बिना सिलगर में सीआरपीएफ द्वारा स्थापित एक नए शिविर का विरोध कर रहे थे. सीआरपीएफ जवानों द्वारा उत्पीड़न का संदेह जताते हुए सिलगर और आसपास के गांवों के आदिवासी 14 मई से शिविर का विरोध कर रहे हैं. 22 मई को...
More »गांव और गरीब राम भरोसे
-आउटलुक, “सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे से हम सब परिचित हैं, सरकार को मार्च 2020 में ही सचेत हो जाना चाहिए था कि महामारी का असर ग्रामीण क्षेत्र पर कितना भयावह हो सकता है” जब मैं ये पंक्तियां लिख रहा हूं, देश के ग्रामीण इलाकों से महामारी की वीभत्सता की अनेक तस्वीरें सामने आ चुकी हैं। हमने बिहार और उत्तर प्रदेश में पावन गंगा में बहती लाशों का हृदय विदारक दृश्य भी देखा है।...
More »तिरछी नज़र: आत्मनिर्भर भारत के सबक़
-न्यूजक्लिक, देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ‘सरकार जी’, जब से वे सरकार जी बने हैं, तब से ही बहुत कोशिश कर रहे हैं। सरकार जी देश को अपने ऊपर निर्भर बनाने की यथा संभव कोशिश कर रहे हैं। जब कभी भी कोई बात उठती है तो प्रश्न यही उठाया जाता है कि वे नहीं तो और कौन। अर्थात देश उन्हीं पर निर्भर है। सरकार जी और उनके सारे समर्थकों की...
More »महामारी के दौर में वैज्ञानिक दृष्टिकोण
-न्यूजलॉन्ड्री, रूपक हमें किसी भी बोध के लिए विशेषण सुझाते हैं. भारत बमुश्किल अभी भिखारियों, सपेरों, और राजाओं के देश के रूपक की केंचुली उतार ही पाया था, कि अब वो ताली, थाली और दिए से एक वायरस से लड़ने की सोचने वाले देश के रूपक में जकड़ गया. भारत की तमाम वैज्ञानिक और तकनीकी उपलब्धियां उस प्रतिछवि से ग्रस्त हो जाती हैं, गो-कोरोना-गो के चिल्लाने, और गोमूत्र एवं गोबर के...
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