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संशोधित खाद्य सुरक्षा विधेयक को हरी झंडी

नयी दिल्ली : सरकार ने मंगलवार को देश की दो-तिहाई आबादी को एक से तीन रुपये प्रति किलोग्राम की सस्ती दरों पर प्रति व्यक्ति एक समान 5 किलोग्राम खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए संशोधित खाद्य सुरक्षा विधेयक को मंजूरी दे दी. हालांकि अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) के तहत आने वाले करीब 2.43 करोड़ बेहद गरीब परिवारों को प्रति परिवार प्रति माह 35 किलोग्राम खाद्यान्न की कानूनी अर्हता होगी. इन परिवारों को सार्वजनिक वितरण...

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खाद्य सुरक्षा बिल- कुछ बुनियादी बातें

संसद के मौजूदा(बजट) सत्र में आखिरकार खाद्य सुरक्षा बिल पर चर्चा होने जा रही है। यह बिल यूपीए सरकार ने साल 2011 में लोकसभा में पेश किया था। आहार और बाल-स्वास्थ्य के मुद्दे पर काम करने वाले विभिन्न संगठनों, स्वयंसेवी संस्थाओं और राज्यों द्वारा प्रस्तुत विविध आलोचनाओं के आलोक में इस बिल में कई और बदलाव किए जाने की संभावना है।यहां प्रस्तुत सामग्री में कोशिश की गई है कि भोजन का अधिकार बिल के बारे में जानकारी क्या-क्यों-कैसे-कौन...

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राज्यों के तेवर देख केंद्र ने बदला रुख

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। खाद्य मंत्रियों के सम्मेलन में बुधवार को राज्यों के तेवर देखकर केंद्र ने अपना रुख बदल लिया है। राज्यों की आशंका को खारिज करते हुए सरकार ने खाद्यान्न आवंटन में किसी भी तरह की कटौती से इंकार किया है। खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने राज्यों की चिंताओं का जिक्र करते हुए कहा कि विधेयक के प्रावधानों पर अमल में आने वाले खर्च में भी केंद्र हाथ...

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भुखमरी और कुपोषण के बीच संसद की स्थायी समिति की नई रिपोर्ट

भुखमरी और कुपोषण को मिटाने के मामले में देश कौन से कदम उठाये, इस बारे में जारी बहस को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा बिल की समीक्षा के लिए बनी स्थायी समिति की रिपोर्ट ने नए सिरे से छेड़ दिया है। गौरतलब है कि रिकार्डतोड़ अन्न-उपार्जन और साल-दर साल बनी रहने वाली उच्च वृद्धि दर के बावजूद कुपोषण और भुखमरी को मिटाने के मामले में भारत का रिकार्ड संतोषजनक नहीं रहा है।...

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किसानों की बर्बादी की योजना- देविंदर शर्मा

इससे अधिक नुकसानदेह और कुछ नहीं हो सकता। चीनी से नियंत्रण हटाने की योजना है। इससे गन्ना उगाने वाले किसान शुगर मिलों की दया पर निर्भर हो जाएंगे। रंगराजन कमेटी द्वारा गन्ने के स्टेट एडवाइस्ड प्राइस (एसएपी) को खत्म करने के सुझाव के बाद अब किसानों को फेयर एंड रेमुनेरेटिव प्राइस (एफआरपी) पर निर्भर रहना होगा। एफआरपी का निर्धारण केंद्र सरकार करती है और यह राज्य सरकारों द्वारा तय किए जाने...

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