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चर्चा में.... | भुखमरी और कुपोषण के बीच संसद की स्थायी समिति की नई रिपोर्ट

भुखमरी और कुपोषण के बीच संसद की स्थायी समिति की नई रिपोर्ट

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published Published on Jan 26, 2013   modified Modified on Jan 28, 2013

भुखमरी और कुपोषण को मिटाने के मामले में देश कौन से कदम उठाये, इस बारे में जारी बहस को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा बिल की समीक्षा के लिए बनी स्थायी समिति की रिपोर्ट ने नए सिरे से छेड़ दिया है। गौरतलब है कि रिकार्डतोड़ अन्न-उपार्जन और साल-दर साल बनी रहने वाली उच्च वृद्धि दर के बावजूद कुपोषण और भुखमरी को मिटाने के मामले में भारत का रिकार्ड संतोषजनक नहीं रहा है। संभावना है कि संसद के अगले सत्र में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा बिल के मसौदे को बहस के लिए रखा जाएगा। इसी बीच सत्ताधारी कांग्रेस ने अपने जयपुर अधिवेशन में वादा किया है कि वह भारत से भुखमरी और कुपोषण को साल 2020 तक समाप्त कर देगी।


विभिन्न दलों के 29 सांसदों को मिलाकर बनी संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि प्रतिव्यक्ति प्रतिमाह 5 किलोग्राम के दर से अनाज दिया जाय जबकि फिलहाल प्रति परिवार प्रतिमाह 35 किलो( यानि प्रति व्यक्ति प्रतिमाह औसतन 7 किलो) अनाज देने का चलन है।नागरिक संगठनों ने ध्यान दिलाया है कि अनाज की मात्रा घटाना स्वास्थ्य के मानकों के विरुद्ध है, खासकर उन व्यक्तियों के लिए जो हाड़तोड़ मेहनत करके जीविका चलाते हैं और अपने आहार की सुरक्षा के लिए पीडीएस पर निर्भर हैं।


समिति का आकलन है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा बिल को अमल करने पर साल 2012-13 में 1,09,796 करोड़ रुपये का खर्चा आएगा। हालांकि समिति ने इस बिल का समर्थन किया है लेकिन यह आशंका भी जतायी है कि भविष्य में जनसंख्या वृद्धि के साथ इस बिल पर अमल कर पाना वित्तीय लिहाज से लगातार कठिन होता जाएगा। कुछ अर्थशास्त्रियों ने इस आकलन पर प्रश्न उठाये हैं जबकि कुछ अन्य का कहना है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा बिल के मद में किया जाने वाला निवेश ज्यादा नहीं कहा जा सकता क्योंकि यह भारत की जीडीपी के 1 फीसदी से भी कम है। समिति का एक विवादास्पद सुझाव यह भी है कि राज्यों को वित्तीय खर्चा उठा पाने के मामले में तीन श्रेणियों में बांटा ताकि यह तय किया जा सके कि वे खाद्यान्न के मद में दी जाने वाली सब्सिडी का खर्चा वे केंद्र के साथ उठा पायेंगे या नहीं और अगर उठा पायेंगे तो किस सीमा तक। बहरहाल, समिति ने ऐसा कोई व्यवहारिक मानक नहीं बताया है जिसके आधार पर राज्यों का वर्गीकरण किया जा सके।

बाल-कुपोषण की उच्च-दर पर ध्यान ना देते हुए समिति ने सुझाव दिया है कि गर्भवती स्त्रियों को दी जाने वाली मदद( 6 महीने के लिए प्रतिमाह 1 हजार रुपये) मात्र दो बच्चों के जन्म तक ही दी जाय। समिति के एक सदस्य ने इस सुझाव से एतराज जताते हुए लिखा है कि जननि और शिशु के लिए इस तरह का दंडात्मक विधान न्यायसंगत नहीं है।


समिति ने खबरदार किया है कि जबतक वित्तीय और बैंकिंग-ढांचा पर्याप्त तौर पर तैयार नहीं हो जाता तबतक अनाज के बदले नकदी देने की अपनी योजना से सरकार बाज आये। बहरहाल, समिति ने उन जमीनी साक्ष्यों का कोई हवाला नहीं दिया है जो इस बात की तरफ संकेत करते हैं कि अनाज के बदले नकदी देने का नया मॉडल चलन ना सिर्फ खत्म कर देना चाहिए बल्कि कुछेक जगहों पर ग्रामीणों ने यह भी कहा है कि उन्हें नकदी के बदले अनाज लेना ज्यादा ठीक लगता है क्योंकि बैंक की सेवाओं को हासिल करने में कठिनाई है।  


अनाज के बदले नकदी देने के विरुद्ध राय रखने वालों में छ्त्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह का नाम शामिल है। छत्तीसगढ़ में बीते कुछ सालों में पीडीएस के मामले में कई प्रौद्योगिक और प्रशासनिक कदम उठाये गए ताकि जरुरतमंद लोगों को सही समय पर अनाद मुहैया कराया जा सके, साथ ही पीडीएस को सार्विक भी बनाया जा सके।


प्रधानमंत्री को भेजी एक चिट्ठी में यह तर्क देते हुए कि अनाज के बदले नकदी के हस्तांतरण का माडल छ्त्तीसगढ़ में ना लागू किया जाय, रमन सिंह ने लिखा है-:


“ पीडीएस के अंतर्गत अनाज के बदले नकदी देने पर अमल करने में कई कठिनाइयां हैं। मेरे विचार से, राज्य में सरकारी राशन की दुकान ही एकमात्र सहज और सुगम विकल्प है जिसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र में अनाज की आपूर्ति की जा सकती है। वित्तीय ढांचे में समावेशन और सूचना-प्रौद्योगिकी के ढांचे का सुचारु रुप से मौजूद होना नकदी के हस्तांतरण पर आधारित किसी भी योजना के लिए पूर्वशर्त है। इन दोनों ही मोर्चों पर राज्य में भारी समस्याएं हैं। फिर बाजार-भाव में उतार-चढ़ाव होते रहता है इस कारण मासिक सब्सिडी नकदी के रुप में कितनी दी जाय, इसे तय करने में भी कठिनाई आएगी। एक समस्या यह भी है कि अगर अनाज के बदले नकदी दी जाती है तो परिवार का मुखिया उस सारी रकम पर कब्जा जमा लेगा और उन चीजों की खऱीदारी पर खर्च करेगा जो चीजें पीडीएस के जरिए नहीं दी जाती और ऐसा होता है तो फिर जिस वजह से सब्सिडी को नकदी के रुप में देने का प्रस्ताव किया गया है, वह उद्देश्य ही धराशायी हो जाएगा।”


छ्तीसगढ़ और तमिलनाडु में पीडीएस सार्विक रुप से दिया जाता है, लेकिन समिति ने अपने सुझावों में इस मान्यता का समर्थन किया है कि अनुदानित मूल्य पर खाद्यान्न सबको ना दिया जाय बल्कि उन्हें ही दिया जाय जिन्हें इसकी विशेष जरुरत है।

इस कथा के विस्तार के लिए कुछ जरुरी लिंक:

National Food Security Bill, 2011, Bill No. 132 of 2011 (a
s introduced in Lok Sabha)

 

Standing Committee Report on National Food Security Bill,
2011, Twenty Seventh Report (January, 2013), Fifteenth Lo
k Sabha

 

Cash Subsidy for Kerosene Pilot: Poor stand Deprived by D
esign?-Case of Kotkasim, Alwar, Rajasthan (part 1)

The Kotkasim Experiment: Field Observations
Kotkasim DSO report (Hindi and English)
Chhattisgarh’s Chief Minister’s letter to Pri
me Minister on cash transfers in the PDS

Cash Transfers: Real Lessons from Brazil

Statement of the Right to Food Campaign on Cash Transfer
Kotkasim_Hindi Document_10 December 2012 

 

 

Media reports and studies on the costs of food security and cash transfer rollouts:

 

Limit nutrition plan to only first 2 kids: Panel -Nitin Sethi, The Times of India, 24 January, 2013,

http://www.im4change.org/rural-news-update/limit-nutrition
-plan-to-only-first-2-kids-panel-nitin-sethi-19052.html

 

Securing Food for All: Is It Really Difficult to Afford? -Praveen Jha and Nilachala Acharya, Economic and Political Weekly, Vol xlviII No 4, January 26, 2013

http://www.im4change.org/rural-news-update/securing-food-f
or-all-is-it-really-difficult-to-afford-praveen-jha-and-ni
lachala-acharya-18970.html

 

The cost of food security, The Hindu, 20 January, 2013, http://www.thehindu.com/opinion/columns/Chandrasekhar/the-
cost-of-food-security/article4325479.ece?textsize=large&am
p;test=1

 

Aadhaar-linked DBT hits roadblock in East Godavari -Mohammad Ali, The Hindu, 21 January, 2013,

http://www.im4change.org/rural-news-update/aadhaar-linked-
dbt-hits-roadblock-in-east-godavari-mohammad-ali-18972.htm
l

 

Rice wars-Chitrangada Choudhury, The Hindustan Times, 12 November, 2008, http://www.hindustantimes.com/India-news/Chhattisgarh/Rice
-wars/Article1-350851.aspx

कैश ट्रांसफर पॉलिसी : अनाज नहीं, नकद खाएं - सचिन कुमार जैन

http://www.im4change.org/hindi/%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%AF
%E0%A5%82%E0%A4%9C-%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0
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0%A4%82-%E0%A4%B8%E0%A4%9A%E0%A4%BF%E0%A4%A8-%E0%A4%95%E0%
A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%9C%E0%A5%88%E0%A4%
A8-5360.html

 

खतरनाक है अनाज के बदले नकद राशि का मंत्र- सचिन कुमार जैन

http://www.im4change.org/siteadmin/addnewarticalshindi.php
?articalid=5362

 

 

 

 



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