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महंगाई "वास्तविक" है और इसका समाधान भी वास्तविक होना चाहिए

-न्यूजक्लिक, महंगाई और इससे निपटने के तरीके लोगों को असल में प्रभावित करते हैं। यह महज़ कोई आंकड़ा नहीं है, जिसे हम विशेषज्ञों की बातचीत में टीवी पर देखते हैं। बल्कि यह तय करता है कि कैसे असली संसाधन हमारे समाज में वितरित हो रहे हैं। कैसे उन तक अलग-अलग वर्ग समूहों की पहुंच सुनिश्चित हो रही है। सामान्य आदमी की इसमें कोई भागेदारी नहीं होती कि सरकार कैसे मुद्रास्फीति (महंगाई)...

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प्रयागराज: कभी पूरब का ऑक्सफ़ोर्ड कहलाता था, अब क्या है शिक्षा और रोज़गार का हाल

-बीबीसी, दिलीप कुशवाहा सर इलाहाबाद में काफ़ी हिट हैं. वे नए तौर तरीकों से छात्रों को अंग्रेज़ी पढ़ाते हैं, अंग्रेज़ी सीखने की चाहत रखने वालों को वे हिंदी माध्यम में अंग्रेज़ी पढ़ाते हैं. गणित की पृष्ठभूमि और सामाजिक बदलाव की दिशा में भूमिका निभाने का जुनून रखने वाले कुशवाहा बताते हैं कि वे छात्रों के बीच हिट कैसे हुए. उनका कहना है कि ख़ास पाठ्यक्रम, पढ़ाने के दौरान उनके शारीरिक हाव-भाव, अभिव्यक्ति का...

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खंडवा: बिना पर्यावरणीय स्वीकृति के बांध बना कर उजाड़ दिए आदिवासी परिवार

-जनपथ, केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा खंडवा जिले में बन रही आंवलिया मध्यम सिंचाई परियोजना की पर्यावरणीय मंजूरी की अर्जी का प्रकरण बंद कर इसे उल्लंघन परियोजना घोषित कर दिया है। इसके साथ ही बांध के निर्माण कार्य पर भी रोक लगा दी है। बांध का कार्य बगैर पर्यावरणीय स्वीकृति के 90 प्रतिशत हो चुका है। नर्मदा बचाओ आंदोलन के मुताबिक आंवलिया मध्यम सिंचाई परियोजना खंडवा जिले के खालवा ब्लाक में...

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आर्थिक असमानता: पूंजीवाद बनाम समाजवाद

-न्यूजक्लिक, पिछले कुछ अर्से में आर्थिक असमानता में हुई भारी बढ़ोतरी के संबंध में काफी कुछ लिखा गया है और ऑक्सफैम जैसी संस्थाओं ने अनेकानेक, हैरत में डाल देने वाले आंकड़े प्रस्तुत किए हैं। ये आंकड़े इनीक्वेलिटी किल्स शीर्षक की रिपोर्ट में पेश किए गए हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि महामारी के आने के बाद से, दस सबसे धनवानों की संपदा दोगुनी हो गयी है, जबकि दुनिया की 99 फीसद...

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हिंदू और हिजाब

-द वायर,  हिंदू और हिजाब. शीर्षक अटपटा है. भला हिंदुओं का हिजाब से क्या लेना-देना? लेकिन आजकल दिखाई यह पड़ रहा है कि हिजाब सबसे ज्यादा फिक्र की वजह हिंदुओं के लिए है. हिजाब लगाए हुए लड़कियां या औरतें उन्हें पिछड़ी हुई, पितृसत्ता की शिकार जान पड़ती हैं और वह उनके उद्धार के लिए व्यग्र हो उठा है. ठीक वैसे ही जैसे उसका दिल तीन तलाक़ की शिकार औरतों के लिए दुखता...

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