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महानंदा पर तटबंध से तबाही--- मणीन्द्र नाथ ठाकुर

हाल में प्रसिद्ध विद्वान अयाची मिश्र के गांव सरिसबपाही में मुख्यमंत्री के साथ मंच साझा करने का मौका मिला, तो नजदीक से उनको सुना. उनका कहना था कि 'हमें प्रकृति के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए; प्रकृति हमें इसकी सजा देती है.' अपने शोध के सिलसिले में कटिहार के कदवा प्रखंड में महानंदा तटबंध के अंदर कुछ गांवों में घूमते हुए बाढ़ से प्रताड़ित लोगों से मिलने का मौका मिला....

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चलो, चलें गांव की ओर?-- मणीन्द्र नाथ ठाकुर

सत्तर के आखिरी दशक में मेरी मुलाकात अस्सी साल के बुजुर्ग शिक्षाविद श्रीमान जीवन नाथ दर से हुई थी. मैं जिस विद्यालय की आठवीं-नवीं कक्षा में पढ़ता था, ये कभी वहीं प्राचार्य हुआ करते थे.  कहते हैं कि जब बिहार सरकार ने भारत सरकार की सलाह पर इस प्रयोगात्मक विद्यालय खोलने का निर्णय लिया, तो पंडित नेहरू ने उनसे यहां आने का आग्रह किया था. शांतिनिकेतन के तर्ज पर बिना...

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अडानी पर आरोप, क़ानूनी नोटिस और संपादक का इस्तीफ़ा- क्या है पूरी कहानी?

सरकारी नीति में बदलाव करके गौतम अडानी को 500 करोड़ रुपए का फ़ायदा पहुंचाने के आरोप लगाने वाले संपादक ने किन हालात में इस्तीफ़ा दिया, इससे जुड़ी नई बातें सामने आई हैं. अडानी समूह पर आरोप, इसके बाद पत्रिका को नोटिस और उसके बाद संपादक परंजॉय गुहा ठाकुरता का इस्तीफ़ा. अब इस बारे में पत्रिका छापने वाली समीक्षा ट्रस्ट ने बयान जारी किया है. इसमें ट्रस्ट ने पूर्व संपादक परंजॉय गुहा ठाकुरता...

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क्या ‘मिड डे मील’ शिक्षा में घुन है?-- मणीन्द्र ठाकुर

ग्रामीण विद्यालयों में शिक्षा की हालत कैसी है? यदि आप इस सवाल को लेकर नीतिकारों के पास जायेंगे, तो लगेगा कि अब भारत को विश्वगुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता है. क्योंकि बिहार के गांवों में भी लगभग सौ फीसदी बच्चे विद्यालय जाने लगे हैं. लेकिन, धरातल पर कहानी कुछ और है. पिछले दिनों किसी गांव के एक विद्यालय में जाने का मौका मिला, जहां साठ-सत्तर के दशक तक...

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जहां ‘मिस्टर’ से ‘महात्मा’ बने गांधी

जिस समय मोहनदास करमचंद गांधी दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद, नस्लभेद और उपनिवेशवादी शोषण के विरुद्ध सामाजिक आंदोलन चला रहे थे, उसी समयावधि में भारत में एक समाज सुधारक अपना सर्वस्व त्याग कर विदेशी शिक्षा, अस्पृश्यता, असमानता, जातिवाद, अशिक्षा, राजनीतिक पराधीनता, अंधविश्वास, पाखंड आदि के विरुद्ध सामाजिक क्रांति कर रहा था। उनका नाम था- महात्मा मुंशीराम (संन्यास नाम स्वामी श्रद्धानन्द), जो हरिद्वार के निकट कांगड़ी नामक गांव में 1902 में गंगा...

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