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साहित्य हमें आलोचनात्मक ढंग से सोचने के लिए प्रशिक्षित करता है और भीड़ और भेड़ होने से बचाता है

-सत्याग्रह, क्यों पढ़ें-पढ़ायें सारे संसार को एक विराट भूमंडी बनाने की जो तेज़ मुहीम अबाध गति से चल रही है, उसने हर कहीं मानविकी के अध्ययन की ज़रूरत पर सवाल खड़े कर दिये हैं. शिक्षा को उपकरणात्मक बनाने का उत्साह विचारधाराओं के आर-पार फैला है और यह सवाल अब बार-बार पूछा जा रहा है कि साहित्य पढ़ने-पढ़ाने से क्या हासिल? उससे छात्रों को किसी नौकरी या काम के लिए योग्य या समर्थ...

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बिना समकालीन हुए, शाश्वत तक पहुंचना संभव नहीं है

-सत्याग्रह, विश्वासघात नहीं आयु के अस्सी वर्ष 16 जनवरी को पूरे कर लिये. इनमें से साठ से अधिक वर्ष कविता के साथ गुजारे हैं. उसके साथ, उसको भरसक रचते हुए, पर उससे अधिक दूसरों की कविता से प्रतिकृत होते हुए. न मैंने कविता का साथ छोड़ा, न कविता ने कभी मेरा साथ छोड़ा. अंधेरे समयों में उसकी रोशनी मिलती रही और जब कोई और पास न था वह थी, बिना संकोच, उदार...

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बावडी: कुछ अनछुए पहलू

-वाटर पोर्टल, सदियों से बावड़ी हमारी सनातन जल प्रदाय व्यवस्था का अभिन्न अंग रही है। अलग-अलग इलाकों में बावड़ियों को अलग-अलग नामों यथा सीढ़ीदार कुआं या वाउली या बाव इत्यादि के नाम से पुकारा जाता है। अंग्रेजी भाषा में उसे स्टेप-वैल कहा जाता है। इस संरचना में पानी का स्रोत भूजल होता है। भारत में इस संरचना का विकास, सबसे पहले, देश के पानी की कमी वाले पश्चिमी हिस्से में हुआ।...

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किसानों के जैसी चुनौती इतिहास में भाजपा को किसी ने नहीं दी है

-द वायर, गठजोड़ की कहानी दो हिस्सों में है. पहला हिस्सा काफी पहले लिखा जा चुका था जब अंडमान में कई सालों की कैद के बाद विनायक दामोदर सावरकर को रिहा कर दिया गया. कैद के पहले वे क्रांतिकारी हुआ करते थे. रिहाई के बाद वे ब्रिटिश हुकूमत के सहयोगी बन गए जैसा कि उन्होंने ब्रिटिश अधिकारियों से रहम की भीख मांगती हुई अपनी कई सारी अर्जियों में वादा किया था जो उन्होंने जेल से लिखी थी. जेल से...

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कोविड-19 के बाद आर्थिक असमानता की ओर देश के बढ़ते कदम!

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा अक्टूबर 2020 में जारी द वर्ल्ड इकोनोमिक आउटलुक नामक छमाही प्रकाशन ने अनुमान लगाया है कि 1990 के दशक के बाद से देशों द्वारा गरीबी को कम करने के लिए की गई आर्थिक प्रगति सर्वव्यापी महामारी कोविड -19 से प्रभावित हुई है. यह तय है कि कोविड-19 के बाद भी आर्थिक असमानता में बढ़ोतरी होगी क्योंकि संकट ने महिलाओं, अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों और कम...

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