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लॉकडाउन: बंगाल के बंद जूट मिलों के मज़दूरों ने कहा, हालत ख़राब है, राशन-पानी ख़त्म हो रहा है

-द वायर, ‘लॉकडाउन के कारण जूट मिल (चटकल) बंद होने से बहुत-बहुत मुश्किल में हैं… क्या बताएं आपको… अगले 10-15 दिन में हम लोग भुखमरी के कगार पर जाने वाले हैं.’ 45 साल के कृष्णा दास जब फोन पर ये बातें कहते हैं, तो वह बार-बार ‘बहुत’ शब्द पर जोर देकर लॉकडाउन के दौरान सामने आईं कठिनाइयों की भयावहता को महसूस कराना चाहते हैं. कृष्णा दास पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना...

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इस कठिन समय में चरवाहों पर ध्यान देने की फुर्सत किसी को नहीं, तो क्या वे इतने ही गैर जरूरी हैं?

शाम होने को है. आसमान में बादलों ने अपना घेरा डाल लिया है. तितलियां उड़-उड़कर यह बतला रही हैं कि जुगनू का पट ओढ़े आएगी रात अभी. धीमे-धीमे हवा अपना ताना बुन रही है. बटेर झाड़ियों में छिप रहे हैं. मध्य प्रदेश राज्य के रतलाम ज़िले की झालरा तहसील का मामनखेड़ा गांव. यहां से करीब चार किलोमीटर दूर जंगल मे भेड़-बकरियों का बड़ा रेवड़ बैठा है. करीब 2000 से ज्यादा भेड़-बकरियां...

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खरपतवार के साथ प्राकृतिक खेती -बाबा मायाराम

मध्यप्रदेश के होशंगाबाद शहर से कुछ ही दूरी पर है टाइटस फार्म। होशंगाबाद भोपाल सड़क मार्ग पर नर्मदा नदी के तट पर स्थित इस इलाके में प्राकृतिक खेती होती है जोकि जमीन की जुताई किए बगैर की जाती है। इस इलाके में फसल के अवशेषों को जलाने के बजाय उससे भूमि ढकाव करते हैं, जिससे खेत में नमी रहती है और जल संचय होता है। उसमें पनपने वाले केंचुए और...

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नदीसूत्रः तमिलनाडु के लोकजीवन और लोकाचार में नदियां

- इंडिया टूडे हिंदी, अगर कोई कहे कि दुनिया भर की अधिकतर सभ्यताएं नदियों के किनारे फूली-फलीं और विकसित हुईं तो यह कोई नई बात नहीं होगी. हम सबने यह छठी कक्षा से पढ़ना शुरू कर दिया था. यह और बात है कि अपने आसपास मरती नदियों को देखकर और मुंह फेरकर चल देना हमारी आदतों में शुमार हो चुका है. पर, नदियां न सिर्फ मानव सभ्यताओं के बढ़ने और उनकी जिजीविषा...

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पहली बार परती ही छूट गई मोकामा टाल की 10 हजार एकड़ जमीन, किसान परेशान

अपनी खास भौगोलिक स्थिति के कारण पहचाने जाने वाले मोकामा टाल में इस साल करीब 10 हजार एकड़ जमीन परती छूट गई। स्थानीय लोग बताते हैं कि उनके ज्ञात इतिहास में ऐसा पहली दफा हुआ है। दाल के कटोरे के नाम से मशहूर टाल इलाके में इस बार गंगा नदी का पानी जनवरी के पहले सप्ताह तक जमा रह गया, जो अमूमन सितंबर महीने तक निकल जाता था, इस वजह...

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