भोपाल. राजधानी से 15 किमी दूर मेंडोरा गांव में गिद्ध बचाने के लिए बनाया जा रहा ‘वल्चर कंजर्वेशन ब्रीडिंग सेन्टर’ खुद को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहा है। वन विभाग 38 लाख रु. फूंकने के बाद भी तय नहीं कर पाया कि सेंटर के संचालन के लिए हर साल लगने वाले २६ लाख रु. कौन देगा? डीबी स्टार ने पड़ताल की तो सामने आया कि जिम्मेदारों ने विदेशी धन के...
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4 करोड़ में से अब बचे सिर्फ 56 हजार गिद्ध
भोपाल देश में 80 के दशक में करीब 4 करोड़ गिद्ध थे, लेकिन अब 56 हजार ही बचे हैं। इसमें से भी स्लेंडर बिल्ड प्रजाति के गिद्ध करीब १ हजार ही बचे हैं। इसका कारण वैश्विक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली दर्द निवारक दवा ‘डायक्लोफे नाक’ को माना गया है। पाकिस्तान में २क्क्३ में एक प्रयोग के द्वारा यह बात बताई गई। वहां इस दवा के द्वारा संक्रमित पशु क...
More »वेदांत- हिन्दुत्व और साम्राज्यवादी मंसूबों का विध्वसंक मिश्रण- रोजर मूडी
विभिन्न देशों के कानून और पर्यावरण नियमों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन करने में वेदांत रिसोर्सेज़ की एक अलग पहचान है. कहने को तो यह कम्पनी एक पब्लिक कम्पनी है मगर इसमें वर्चस्व खुले तौर पर केवल एक व्यक्ति, उसके परिवार और इष्ट मित्रों का ही है. इस कम्पनी को इस बात पर भी नाज़ है कि वह हिन्दुत्व और नव-उदार रूढ़िवादिता में समन्वय स्थापित करती है. परेशानी की बात...
More »बसेरा बनता गया, पेड़ उजड़ते रहे
जीएन भार्गव, ऐलनाबाद पेड़ों को नष्ट कर पर्यावरण के दुश्मन बने शहरी और ग्रामीण लोगों के साथ-साथ सरकारी अमला भी इसके लिए कम दोषी नहीं है। दो दशक पूर्व ग्रामीण क्षेत्रों के कुओं, तालाबों, जोहड़ों व गावों के चारों तरफ बनी घिरनी रास्ते पर पेड़ों के झुंड के झुंड बने दिखाई देते थे। इसी तरह शहर से निकलते ही शुरू हो जाता था, हरियाली का आलम। लोगों ने इन तालाबों, जोहड़ों पर...
More »समृद्ध वन्यजीवन वाले उत्तर प्रदेश के एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान की सांस फूल रही है. हिमांशु बाजपे??
उम्मीदों का उजास और निराशा की स्याही दुधवा नेशनल पार्क के दो छोर हैं. इनके बीच में ज़िंदगी के जितने रंग हैं, वे सब देखने को मिलते हैं. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी जिले में स्थित दुधवा की सैर करते हुए जल्दी ही अहसास हो जाता है कि पार्क में सब कुछ उतना ठीक नहीं है जितना पहली नजर में लगता है. हरे-भरे दुधवा के वन्य जीवन को पेड़ों की अंधाधुंध कटाई...
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