उत्तर प्रदेश में महिला उत्पीड़न की इतनी घटनाएं घट रही हैं कि अगर कोई छोटी-सी आशा की किरण उजागर होती है, तो उसे देखने और दिखाने की कोशिश की जानी चाहिए। न्याय की पथरीली राह में ये छोटी उपलब्धियां मील के पत्थर का काम करती हैं। कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामले अनगिनत हैं, पर विरोध की हिम्मत कम ही महिलाएं जुटा पाती हैं। उत्पीड़न करने वाले हर तरह से शक्तिशाली...
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निर्मल गंगा का सपना- केपी सिंह
जनसत्ता 25 जून, 2014 :गंगा को निर्मल बनाने का अभियान नई सरकार की प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक है। सरकार की प्रतिबद्धता इसी बात से आंकी जा सकती है कि इस संबंध में प्रारंभिक बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। काम बहुत मुश्किल है, पर असंभव नहीं। गंगा हिमालय से निकल कर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से बहते हुए बंगाल की खाड़ी में जाकर समुद्र...
More »भय पैदा करने वाला समाज- सुभाषिनी अली
नवंबर और दिसंबर के महीनों में शामली, मेरठ और मुजफ्फरनगर में महिलाओं की बड़ी सभाएं आयोजित की गईं। यह काफी आश्चर्यजनक बात है, क्योंकि, खासतौर से ऐसे इलाकों में, महिलाएं सभाओं में बड़ी मुश्किल से जा पाती हैं। उनके घरवाले इन सभाओं से घबराते हैं कि कहीं इनमें आने-जाने की आदत पड़ गई और औरतों को अपनी समान समस्याओं पर अधिक और आपस के भेद पर कम ध्यान जाने लगा,...
More »बाजार में बिक रही हैं सब स्टैंडर्ड दवाइयां
जमशेदपुर: शहर में सब स्टैंडर्ड दवाइयां बिक रही हैं. विभाग द्वारा जांच के लिए भेजी गयी दवाइयों की जांच से यह खुलासा हुआ है. सब स्टैंडर्ड दवाइयों की बिक्री रोकने के लिए प्रशासन द्वारा दवा दुकानों से सैंपल जब्त कर जांच के लिए भेजे जाते हैं. जांच कोई कमी पाये जाने पर उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है. ड्रग इंस्पेक्टर सुमंत तिवारी ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि विगत एक...
More »गन्ने की कड़वाहट- अरविन्द कुमार सेन
जनसत्ता 30 नवंबर, 2013 : सियासत का हद से ज्यादा हस्तक्षेप किस तरह एक संगठित उद्योग को तबाही के कगार पर ला खड़ा करता है, गन्ना उद्योग इसकी मिसाल है। कुछ समय पहले सांप्रदायिक हिंसा की आग में झुलस चुके मुजफ्फरनगर-शामली इलाके के लोगों को अब गन्ने के दाम की फिक्र सता रही है। आमतौर पर उत्तर प्रदेश में सरकार अगस्त-सितंबर में मिल मालिकों और किसानों से बातचीत करके आरक्षी क्षेत्र...
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