हरित क्रांति के मसीहा डॉ नॉर्मन बोरलॉग ने साठ के दशक में बौनी प्रजाति के अधिक उपज वाले गेहूं की ईजाद की. सभी देशों की तरह भारत में भी उस गेहूं की खेती शुरू की गयी. बौनी प्रजाति के गेहूं ने उस वक्त की राजनीति गढ़ने का भी काम किया, जिस पर बहस और शोध होना चाहिए. देखते-देखते गेहूं की उपज दूनी हो गयी. सन् 1959-60 में जो गेहूं...
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पानी के बंटवारे से होगा लाभ- भरत झुनझुनवाला
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि पंजाब द्वारा सतलुज यमुना लिंक नहर पर यथास्थिति बनाये रखी जायेगी. विवाद पुराना है. पंजाब तथा हरियाणा के बीच सतलुज नदी के पानी के बंटवारे को लेकर बहुत पहले समझौता हुआ था, परंतु पंजाब सरकार ने समझौता मानने से इनकार कर दिया था. पंजाब सरकार द्वारा समझौते को रद्द करने का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबे समय से लटका हुआ है. राज्यों के बीच...
More »पानी बचाने की खातिर खेतों को समतल बनाने पर जोर
किसान अब पानी बचाने की खातिर खेतों को समतल बनाने पर जोर दे रहे हैं। इसी के चलते जिले के ग्राम राजपुरा में एक किसान ने हरियाणा करनाल से लेजर तकनीक से खेतों को समतल बनाने वाली मशीन खरीदी है। इससे किसान खासकर खरीफ फसल के दौरान खेत में पानी भर जाने से फसलों को होने वाले नुकसान से बचा सकेंगे। जबकि रबी फसल सत्र में पानी की बेहद बचत होगी।...
More »फसलों का नुकसान: मुआवजा पाने में कितने पेंच
क्या बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की वजह से गेहूं और चने जैसे महत्वपूर्ण रबी-फसल के नुकसान की मार झेल छह राज्यों के किसानों को इतना मुआवजा मिल पाएगा कि उनके लागत की ही भरपायी हो सके ? प्रश्न के उत्तर के नीचे लिखे तथ्य पर गौर करें. एक क्विन्टल गेहूं को उपजाने और बाजार तक पहुंचाने में किसान को 1212 रुपये की लागत आती है, एक क्विन्टल चने के लिए यही खर्च...
More »आज भी मुख्यधारा से कटे हैं सरयू के लोग, तबीयत हुई खराब, तो बचना मुश्किल
इस इलाके में रहनेवाले लोगों के बेटे-बेटियों के लिए रिश्ते नहीं आते. तत्कालीन केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा था, चार माह में यहां दिखेगा बदलाव, लेकिन हालात यह है कि यहां जीवन काटना भी मुश्किल है. फिर भी लोग यहां बसर कर रहे हैं इस उम्मीद में कि कभी तो उनके भी दिन बहुरेंगे. ।। सरयू से लौट कर जीवेश ।। चारों ओर से पहाड़ियों से घिरा लगभग दो...
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