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सामाजिक योजनाओं के भ्रष्टाचार से बड़ी चुनौती हैं कॉरपोरेट घोटाले : ज्यां

ग्रामीण विकास व ग्रामीण योजनाओं पर प्रसिद्ध अथर्शास्त्री ज्यां द्रेज के नजरिये व सोच को जानना महत्वपूर्ण है. वे इन विषयों का बारीक अध्ययन व विेषण करते हैं. बेल्जियम मूल के ज्यां द्रेज भारत में 1979 से रह रहे हैं. 2002 में उन्होंने भारत की नागरिकता ली. वे देश के कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से भी जुडे रहे हैं. मनरेगा, खाद्य सुरक्षा व निचले स्तर के भ्रष्टाचार पर उनकी गहरी समझ है. वे...

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सामाजिक योजनाओं के भ्रष्टाचार से बड़ी चुनौती हैं कॉरपोरेट घोटाले : ज्यां द्रेज

ग्रामीण विकास व ग्रामीण योजनाओं पर प्रसिद्ध अथर्शास्त्री ज्यां द्रेज के नजरिये व सोच को जानना महत्वपूर्ण है. वे इन विषयों का बारीक अध्ययन व विेषण करते हैं. बेल्जियम मूल के ज्यां द्रेज भारत में 1979 से रह रहे हैं. 2002 में उन्होंने भारत की नागरिकता ली. वे देश के कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से भी जुडे रहे हैं. मनरेगा, खाद्य सुरक्षा व निचले स्तर के भ्रष्टाचार पर उनकी गहरी समझ है. वे...

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रिन्युएबल एनर्जी को बढ़ावा देने का है वक्त - संजीव कुमार

वैश्विक स्तर पर सरकारें औद्योगिक क्षेत्र की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए ग्रीन इंडस्ट्रियल पॉलिसी पर काम कर रही है। इसके तहत रिन्युएबल एनर्जी के उत्पादन एवं खपत की दिशा में अधिक जोर दिया जा रहा है। यह ट्रेंड वैश्विक स्तर पर न केवल विकसित बल्कि विकासशील देशों में भी तेजी से अपनाया जा रहा है। इसका मकसद जीवाश्म ईंधन के बढ़ते इस्तेमाल से ग्लोबल वार्मिंग की...

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कलेक्टर राज में विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया संभव नहीं- टी. आर रघुनंदन

पंचायती राज लोकतंत्र की बुनियादी इकाई है. सरकार ने पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करने के लिए गांवों में  कई योजनाओं को शुरू किया है. बावजूद इसके पंचायती राज व्यवस्था और केंद्र  व राज्य की सरकारें पंचायतों में कामकाज और उनके अधिकार को लेकर आमने-सामने खड़ी दिखती हैं. ग्रामीण विकास मंत्रलय में सचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे पंचायती राज विशेषज्ञ टीआर रघुनंदन पंचायतों को अधिकार दिये जाने के सवाल...

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21वीं सदी में गांव की उम्मीद की डोर

रांची जिले के बुढ़मू में मनरेगा की एक योजना के तहत कुआं निर्माण का कार्य करती युवतियां इस बात का प्रमाण हैं कि 21वीं सदी में गांव को ऐसे कानून व कार्यक्रम मिले हैं, जिनसे उनका पलायन रुके व उन्हें घर पर ही रोजी-रोटी मिले. इस तरह के और भी कई कार्यक्रम व कानून हैं, जिससे गांवों की सूरत पिछली सदी की तुलना में काफी बदल गयी है. हालांकि इनके...

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