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भुखमरी : भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश से पीछे

भुखमरी दूर करने के मामले में भारत अपने पड़ोसी देशों से भी पीछे है और बीते दो दशकों में भुखमरी से लड़ाई के मोर्चे पर आगे बढ़ने के बावजूद इस दिशा में बहुत कुछ किया जाना शेष है। विश्व खाद्य दिवस(16 अक्तूबर) से दो दिन पहले प्रकाशित ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2013 नामक रिपोर्ट(देखें नीचे दी गई लिंक)में भोजन की कमी से जूझ रही भारतीय आबादी के बारे में कई महत्वपूर्ण...

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बढ़ते प्रवास से दुनिया का हर छठवां व्यक्‍ति भारतीय

भारतीयों के बढ़ते प्रवास की बदौलत दुनिया का हर छठां व्यक्‍ति भारतीय है। मुंबई स्थित अंतरराष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान के प्रोफेसर और यूनिसेफ के भारत में प्रतिनिधि प्रोफेसर राम एस भगत ने बताया कि प्रवास की दर देश के अंदर और देश से बाहर दोनों जगह काफी तेज है। उन्होंने बताया कि भारत में प्रवास की दर सबसे अधिक केरल और पंजाब से है। भगत ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर...

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समुद्र से तबाही के तूफान- संदीप निगम

चक्रवाती तूफान ‘फैलिन’ तबाही की कहानी लिख कर कमजोर पड़ चुका है. देश की वैज्ञानिक प्रगति, मौसम विभाग की सटीक भविष्यवाणी और आपदा प्रबंधन को लेकर राज्य एवं केंद्र सरकारों के बीच सही तालमेल ने साबित किया कि प्रकृति के कहर को रोका भले न जा सकता हो, लेकिन इसके असर को न्यूनतम किया जा सकता है. समुद्र से चक्रवाती तूफान उठने के कारणों और उसके विभिन्न प्रकार की जानकारी दे रहा...

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पाकिस्तान और बांग्लादेश से ज्यादा भारत में है भुखमरी

नयी दिल्ली: खुद को उभरती हुई आर्थिक शक्ति मान कर इतराने वाले भारत के लिए शायद यह खबर शर्मनाक है. दुनिया में भुखमरी के शिकार जितने लोग हैं, उनमें से एक चौथाई लोग सिर्फ भारत में रहते हैं. इस मामले में हमारी हालत पाकिस्तान, बांग्लादेश व अन्य पिछड़े मुल्कों से भी खराब है. भुखमरी मापने वाले सूचकांक ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआइ) ने 2011-2013 की अपनी रिपोर्ट में भारत को 63...

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महज लिंक वर्कर नहीं सोशल एक्टिविस्ट भी हैं सहिया

झारखंड में गांव-गांव में सेहत की अलख जगाने वाली सहिया दीदी का स्वरूप महज लिंक वर्कर जैसा नहीं है. झारखंड में सेहत के मसले पर काम करने वाली संस्थाओं ने इसे सेहत के मसले पर गांव में मौजूद सामाजिक कार्यकर्ता का स्वरूप दिया है. इसका काम सिर्फ गांव के लोगों को सेहत से संबंधी सुविधाएं उपलब्ध कराना नहीं है, बल्कि सेहत से संबंधी समस्याओं के लिए गांव के लोगों को...

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