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बैंकों के विलय पर टिकी उम्मीद-- सतीश सिंह

सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय का मन बना लिया है। इसलिए उसने नीति आयोग से इस मसले पर अनुशंसाएं आमंत्रित की हैं और रिजर्व बैंक को भी इस संबंध मेंसुझाव देने के लिए कहा है। वर्तमान में सरकार चार बड़े और छह छोटे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय करना चाहती है। चिह्नित किए गए छह छोटे बैंकों में यूनाइटेड बैंक आॅफ इंडिया, यूको बैंक, यूनियन बैंक...

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RBI के पूर्व गर्वनर ने कहा, भारत में काम नहीं करेगा महंगाई का लक्ष्य निर्धारण

नई दिल्ली। देश में कीमतें मानसून और तेल मूल्यों जैसे कई कारकों पर निर्भर हैं। इन पर न तो रिजर्व बैंक (आरबीआइ) और न ही सरकार का कोई नियंत्रण है। इसलिए महंगाई दर का लक्ष्य तय करना भारत में काम नहीं आएगा। आरबीआइ के पूर्व गवर्नर विमल जालान ने एक कार्यक्रम में यह बात कही। जालान के मुताबिक महंगाई दर का लक्ष्य तय करने की नीति अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में...

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किस हद तक माफ हों कर्ज-- आर. सुकुमार

भारत में इस मानसून की यदि कोई थीम है, तो मेरी राय में वह ‘कर्ज' है। तीन मामले आपके सामने रख रहा हूं। पहला, रिजर्व बैंक अपनी नई ताकतों से परिचय करा रहा है। नई बैंकरप्सी कोड के तहत उसने 12 बड़ी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की है। इन कंपनियों पर हमारे बैंकिंग सिस्टम के कुल एनपीए यानी डूबे हुए कर्ज का लगभग एक चौथाई हिस्सा बकाया है। यह रकम...

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बिना जमीन का आसमान-- अरविन्द कुमार सेन

इस बात का जोर-शोर से प्रचार किया जा रहा है कि युवाओं को अपने खुद के उद्यम (स्टार्ट-अप) खोलने चाहिए और सरकारी नीतियों का रुख अब स्टार्ट-अप की ओर ही रहेगा। क्या स्टार्ट-अप की राह पर चल कर हमारे देश में बड़े पैमाने पर व्याप्त बेरोजगारी की समस्या का समाधान किया जा सकता है? जवाब पाने के लिए इस मसले पर तफसील से निगाह डालनी होगी।मोटे अनुमान के मुताबिक आने...

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जड़ों से उखड़ते लोग-- डा. सैय्यद मोबीन जेहरा

कहते हैं कि सब कुछ टूट जाये तो कुछ नहीं होता, लेकिन अगर आपके सपने टूट गये, तो आगे बढ़ना मुश्किल हो जाता है. इसलिए सपने देखना बहुत जरूरी है. अपना देश, अपनी जमीन, अपने लोग, अपनी भाषा, अपना माहौल हमारे जीवन में विशेष महत्त्व रखते हैं. लोग अपने भविष्य को लेकर हसीन सपने बुनते हैं और उनको हासिल करने के लिए कोशिश भी करते हैं. लेकिन, क्या आपने...

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