गए साल अक्टूबर की 20 तारीख़ को कानपुर में एक गोष्ठी से गुज़रना हुआ था. विचारशीलता और बौद्धिक हस्तक्षेप की पत्रिका ‘अकार’ के मार्फ़त आयोजित इस गोष्ठी का विषय ‘डेढ़ सौ बरस के गांधी’ था. इस गोष्ठी के दरमियान लिए गए नोट्स इन पंक्तियों के लेखक की डायरी में लंबे समय तक दबे रहे. कानपुर से लौटकर इन नोट्स पर लौटना न हुआ, लेकिन अब हो रहा है—पर्याप्त देर से ही...
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कितना खतरनाक हो सकता फलों और सब्जियों पर रसायनों का इस्तेमाल
गांव कनेक्शन पिछले वर्ष नेपाल ने भारत की सब्जियों और फलों पर रोक लगा दी थी, साल 2014 में यूरोपियन देशों ने अल्फांसो आम के निर्यात पर रोक लगा दी थी, इसके पहले भी कई देशों ने भारत की सब्जियों और फलों के निर्यात पर रोक लगा दी थी, इनके पीछे एक ही कारण है कीटनाशक और रसायनों का अंधाधुंध इस्तेमाल। हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने सब्जियों में कीटनाशकों के...
More »बजट 2020 : सीधा-सरल नहीं, अंदर की बात में छिपे हैं झटके
-आउटलुक हिंदी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दशक का पहला बजट पेश करते हुए उसकी थीम “आकांक्षी भारत, आर्थिक विकास और हितैषी समाज” बताई। इस बजट से आम आदमी, किसान, कॉरपोरेट जगत को भी कई सारे आकांक्षाए थी। उसे उम्मीद थी कि मंदी के भंवर में फंस चुकी अर्थव्यवस्था को निकालने के लिए वित्त मंत्री लोगों के बजट में इजाफा करेंगी। इसके लिए उन्होंने टैक्स छूट का ऐलान भी किया। बजट...
More »बजट से किसान नाराज, नहीं दिखता संकट से निकलने का कोई रास्ता
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज अपना दूसरा बजट 2020-21 पेश करते समय यह ऐलान किया कि भारत अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुकी है लेकिन किसानों का कहना है कि इस बजट में हमारे संकट का कोई समाधान नहीं है। वित्त मंत्री ने आम बजट में किसानों की भलाई के लिए वादे तो बहुत किए हैं, लेकिन इसके मुकाबले आवंटन किया केवल 2.83 लाख करोड़...
More »लक्ष्य से काफी पीछे रह गए हम
-हिन्दुस्तान पिछले साल दो बजट पेश हुए थे। एक अंतरिम बजट फरवरी में पेश किया गया था, उसके बाद देश में लोकसभा चुनाव हुए और जुलाई में एक बार फिर मोदी सरकार ने अपना बजट पेश किया। दोनों बजट के बीच छह महीने का अंतर था, पर इन छह महीनों में ही आंकड़ों में बदलाव दिख गया। सरकार की आय और खर्च के बीच एक लाख, 80 हजार करोड़ रुपये का...
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