भारत में डायबिटीज की अत्यंत लोकप्रिय और सस्ती दवा को सरकार ने बैन कर दिया है. सरकार के इस फैसले से विशेषज्ञ डॉक्टरों में आक्रोश है. पहली बार बाजार के कॉमर्स के खिलाफ साइंस ने जंग छेड़ी है. डॉक्टर दिवस पर मरीजों के मर्म और सरकार की संवेदनहीनता बयां करती एक डॉक्टर की पीड़ा. - डायबिटीज की अत्यंत लोकप्रिय और अपेक्षाकृत सस्ती दवा ‘पायोग्लीटाजोन’ को 18 जून, 2013 से भारत सरकार के स्वास्थ्य...
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महंगे डीजल का सही निर्णय-डा भरत झुनझुनवाला
लगभग छह माह पूर्व यूपीए सरकार ने डीजल के दाम बढ़ाने का निर्णय लिया था. विपक्षी पार्टियों ने सरकार के इसका विरोध किया था. उनके दो मुख्य तर्क थे. एक यह कि मूल्य वृद्घि से महंगाई बढ़ेगी. दूसरा यह कि गरीब पर दुष्प्रभाव पड़ेगा. दोनों तर्क फेल हो गये हैं. महंगाई नियंत्रण में है और गरीब द्वारा हाहाकार का कोई संकेत नहीं है. डीजल की मूल्य वृद्घि से महंगाई न बढ़ने...
More »सूचना अधिकार की नजर- कनक तिवारी
जनसत्ता 17 जून, 2013: केंद्रीय सूचना आयोग के ताजा निर्णय के कारण राजनीतिक पार्टियों में खलबली मच गई है। आयोग का फैसला राजनीतिक पार्टियों की पीठ पर कोड़ा मारता दिखा, लेकिन उसे दलों ने पेट पर लात मारने की शक्ल में माना और अपनी जगहंसाई कराई। आयोग के सामने प्रश्न था कि क्या सूचनाधिकार अधिनियम की धारा 2 (ज) के अनुसार राजनीतिक दलों को लोक प्राधिकारी (पब्लिक अथॉरिटी) माना जा...
More »पारदर्शिता का पैमाना और पार्टियां- शीतला सिंह
जनसत्ता 11 जून, 2013: केंद्रीय सूचना आयोग ने अपने एक फैसले में राजनीतिक दलों को सूचना आयोग कानून के तहत जवाबदेह माना है। आयोग की पूर्णपीठ ने राजनीतिक दलों का यह तर्क नहीं स्वीकार किया कि वे सरकारी सहायता से चलने, उनसे अनुदान प्राप्त करने वाले संगठन नहीं हैं इसलिए वे इस कानून से मुक्त हैं। केंद्रीय सूचना आयोग का मानना है कि वे केंद्र सरकार की ओर से परोक्ष...
More »पंचायत के रास्ते जन तक पहुंचा तंत्र
प्रदीप श्रीवास्तव, नई दिल्ली। तमाम दिक्कतों, सरकारी अवरोधों को गिनाने के साथ मणिशंकर अय्यर मानते हैं कि पंचायत राज व्यवस्था ने जमीनी स्तर पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया से प्रशिक्षित लाखों लोगों की एक फौज खड़ी की है। खासकर इससे महिलाओं को आगे लाने में काफी कामयाबी मिली है। पंचायती राज के जरिए जनता देश में 38 लाख प्रतिनिधि चुनती है। इसमें 14 लाख महिलाएं होती हैं। अय्यर के मुताबिक, पिछले 20...
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