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गरीबी के बारे में डीटन ने बढ़ाई है अर्थशास्त्र की समझ-- रीतिका खेड़ा

अपने पूरे कैरिअर में माप के मसले उनकी चिंताओं के केंद्र में रहे हैं। उनके अनुसार आंकड़ों को बिना सवाल किए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। उदाहरण के लिए इस सदी के शुरूआती वर्षों में उन्होंने भारत में मूल्य सूचकांक की गणना की समस्याएं रेखांकित करते हुए यह दिखाया था कि वह कैसे गरीबी संबंधी अनुमानों को प्रभावित करती है। भारत के संबंध में उनका एक और काम गौर फरमाने...

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विचाराधीन कैदियों का सवाल-- चंदन श्रीवास्तव

जानते सभी हैं कि देश की विभिन्न जेलों में फिलहाल क्षमता से ज्यादा कैदी रखे गये हैं, लेकिन जेलों के कैदियों से भरते जाने के सही कारण का पता अकसर लोगों को नहीं होता. सामान्य बुद्धि यही कहेगी कि जेलों में कैदी ज्यादा हैं, यह इस बात का भी संकेत हो सकता है कि समाज में अपराध बढ़ रहे हों और बढ़ते अपराधों पर रोक लगाने के लिए प्रशासन एकदम...

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गरीबी का फंदा तोड़ने के वास्ते-- प्रमोद जोशी

आर्थिक विकास, व्यक्तिगत उपभोग और गरीबी उन्मूलन के बीच क्या कोई सूत्र है? यह इक्कीसवीं सदी के अर्थशास्त्रियों के सामने महत्वपूर्ण सैद्धांतिक प्रश्न है. पिछले डेढ़-दो सौ साल में दुनिया की समृद्धि बढ़ी, पर असमानता कम नहीं हुई, बल्कि बढ़ी. ऐसा क्यों हुआ और रास्ता क्या है?  इस साल अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार प्रिंसटन विश्वविद्यालय के माइक्रोइकोनॉमिस्ट प्रोफेसर एंगस डीटन को देने की घोषणा की गयी है. वे लंबे अरसे...

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राजस्थान-- तारीख पर तारीख लेकिन सुनवाई सिफर

राजस्थान में जेल-प्रशासन एक तिहाई विचाराधीन कैदियों को सुनवाई की तारीख पर अदालत में पेश नहीं कर पाता, क्या आप सोच सकते हैं क्यों ? विचाराधीन कैदियों को निर्धारित तारीख पर अदालत में पेश ना कर पाने की वजह है एस्कार्ट के लिए पर्याप्त संख्या में पुलिस-बल का ना होना ! मानवाधिकारों के लिए सक्रिय कॉमनवेल्थ ह्यूमनराइटस् इनिशिएटिव(सीएचआरआई) के एक हालिया अध्ययन के अनुसार बीते बीस सालों में राजस्थान के जेलों में...

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'सोयाबीन की पेटी' आधी खाली, एक बीघा में सिर्फ दो क्विंटल पैदावार

जितेंद्र यादव, इंदौर। सोयाबीन की पेटी माने जाने वाले मालवा के बड़े हिस्से में इस बार सोयाबीन का उत्पादन आधा रह जाएगा। एक हेक्टेयर में औसत पैदावार सिर्फ 7-8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर यानी एक बीघा में केवल दो क्विंटल। ये सरकार के फसल कटाई प्रयोग से निकले आंकड़े हैं, जबकि हकीकत तो इससे भी भयावह है। कई किसानों का तो बीज भी लौटकर नहीं आया। सोयाबीन अनुसंधान केंद्र के अनुसार, पूरी...

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