सरकार अब राशन में खाद्यान्न की जगह नकद भुगतान करने जा रही है. इसका पायलट फेज दिल्ली की दो बस्तियों में प्रारंभ भी कर दिया गया है. सरकार के इस कदम के बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि सरकार अपनी संवैधानिक प्रतिबद्धता को भी समाप्त करने की कोशिश कर रही है. हालांकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कमजोर करने की साजिश तो वर्ष 1991 के बाद से ही शुरु हो...
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हमारा मिड-डे-मील खा जाते हैं शिक्षक
धनबाद। हमारा एमडीएम शिक्षक खा जाते हैं, विद्यालय में नियमित मध्याह्न् भोजन नहीं बनता है। बनता भी है तो, चावल सड़ा होता है। खाना भी मेनू के अनुरूप नहीं बनता है। एमडीएम का बर्तन शिक्षक अपने घर में प्रयोग करते हंै। कुछ इस तरह की शिकायत बालिका प्राथमिक विद्यालय के बच्चे सोमवार को उपायुक्त कार्यालय घेराव के क्रम में की। अभिभावकों व बच्चों का दल ने सोमवार को उपायुक्त कार्यालय का घेराव...
More »असल संत की अंत कथा- आशीष खेतान और मनोज रावत
गंगा को लेकर संतों और खनन माफिया के बीच छिड़ी लड़ाई में उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने एक नहीं बल्कि बार-बार और खुल्लमखुल्ला खनन माफिया का साथ दिया है. स्वामी निगमानंद की मौत के पीछे का सच सामने लाती आशीष खेतान और मनोज रावत की विशेष पड़ताल बाबा रामदेव को ध्यान खींचने की कला आती थी. स्वामी निगमानंद के पास यह हुनर नहीं था. इसलिए एक ओर रामदेव विदेशों में जमा...
More »सत्ता के गढ़ में सूचना की सेंध : हर्ष मंदर
लगभग दो दशक पहले जब राजस्थान के गांवों में रोजगार और मजदूरी के लिए संघर्ष करने वाले लोगों के बीच सूचना के कानूनी अधिकार के विचार ने आकार ग्रहण करना प्रारंभ किया, तब बहुत कम लोगों ने यह अनुमान लगाया होगा कि यह विचार इस विशाल देश में लोकतंत्र के स्वरूप को बदल देगा और उसकी जड़ों को और मजबूत बना देगा। आधुनिक भारत में राज्यतंत्र का दखल हमारे जीवन के...
More »सरकारी यानी घटिया!- विनोद वर्मा(बीबीसी)
तमिलनाडु के एक पिछड़े ज़िले इरोड के ज़िलाधीश यानी कलेक्टर डॉ आर आनंदकुमार ने अपनी छह साल की बेटी को एक सरकारी स्कूल में भर्ती करवाया है. जब वे इस स्कूल में अपनी बच्ची के दाखिले के लिए पहुँचे तो दूसरे माँ-बाप की तरह कतार में खड़े हुए. दिल्ली के एक अख़बार में इस ख़बर का प्रकाशित होना ही साबित करता है कि यह कुछ असामान्य सी बात है. यक़ीनन ज़िलाधीश को उनके...
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