गरीबी की तुलना में समृद्धि की पहचान बेहद आसान है। दौलत या तो नजर आती है या उसका निर्लज्ज नजारा होता है, जबकि निर्धनता अनदेखी ही बनी रहती है। सबसे बदतर किस्म की गरीबी देश और दुनिया के उन हिस्सों में अदृश्य रहती है, जहां यह सरकार के उद्गम स्थल से बाहर होती है और व्यावसायिक प्रतिष्ठान, नौकरशाही या मीडिया सरीखे आधुनिक जीवन के इंजनों को ईंधन देने का काम करने वाले...
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प्राण वायु बन गई जानलेवा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि विश्वभर में प्रतिवर्ष वायु प्रदूषण से 20 लाख लोगों की मौत होती है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक विश्व के 91 देशों के लगभग 1,100 शहरों में प्रदूषण काफी उच्च स्तर पर पहुंच गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदूषण की वजह से ही...
More »80 हजार करोड़ का खाद्यान्न हो जाता है नष्ट : डॉ. खोखर
देश में कृषि उत्पादों के भंडारण, ढुलाई, कीट, बीमारियों के चलते हर वर्ष 60 से 80 हजार करोड़ रूपये का खाद्यान्न नष्ट हो जाता है। इसलिए कृषि वैज्ञानिक ऐसे तकनीके इजाद करें जिससे अनाज की पोस्ट हार्वेस्ट क्षति को रोका जा सके। यह चिंता जताते हुए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. केएस खोखर ने देश में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए वर्षा पर निर्भर शुष्क क्षेत्रों के लिए विशेष कार्य...
More »अनरियल एस्टेट- हिमांशु शेखर(तहलका)
उत्तर प्रदेश के बिजनौर के रहने वाले विकास चौहान जब करीब एक दशक पहले दिल्ली आए तो उनके कई सपनों में से एक यह भी था कि देश की राजधानी में उनका एक अपना आशियाना हो. नौकरी मिली और आमदनी बढ़ने लगी तो उन्होंने अपने इस सपने को पूरा करने की कोशिश शुरू कर दी. प्रॉपर्टी की बढ़ती कीमतों की वजह से दिल्ली में तो कोई मकान उन्हें अपने बजट...
More »पौष्टिक है गोल्डन राइस
दुनिया में खाद्यान्न के बढ़ते संकट की चुनौतियों का उपाय तलाशने में जुटे रिसर्च संस्थानों में शामिल फिलीपींस स्थित इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी ईरी के उप महानिदेशक ऑपरेशंस डॉ. विलियम जी पैडोलिना से संजय मिश्र की बातचीत: -उत्पादन बढ़ने के बावजूद विश्व में खाद्यान्न एक बड़ी समस्या बन गया है। आखिर भविष्य में इसकी पर्याप्त उपलब्धता को लेकर गंभीर सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं? यह सवाल उठना लाजिमी है,...
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