भारत में मौसमी घटनाओं के कारण वर्ष 2022 में 2,227 लोगों की जाने चली गई। सबसे अधिक मौतें बिहार राज्य (418) से हुई हैं। उसके बाद असम से 257, उत्तर प्रदेश से 201, ओडिशा से 194 और महाराष्ट्र के 194 लोगों की जीवन लीला मौसमी कारकों के कारण समाप्त हो गई। मौसम विभाग की रपट के अनुसार; इसके पीछे की वजहों को देखें तो सबसे बड़ा कारक आकाशीय बिजली और आंधी–तूफान है।...
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धंसते जोशीमठ से उठते सवाल, सरकारों ने पहाड़ी राज्य के हिसाब से नहीं बनाया विकास मॉडल
डाउन टू अर्थ, 16 जनवरी जोशीमठ में जो आज हो रहा है उसकी पठकथा तो कई सालों से लिखी जा रही थी, ये प्राकृतिक संसाधनों की लूट का खुला प्ररिणाम है। ये नाजुक परिस्थितिकीतंत्र के ऊपर आर्थिक तंत्र को तबज्जो देने का परिणाम है। हम सब जानते हैं कि हिमालय बहुत नाजुक पर्वतश्रृंखला है और इसका परिस्थितिकीतंत्र अतिसंवेदनशील है। हिमालय सम्पूर्ण दक्षिण एशिया के पर्यावरण, समाज और अर्थव्यवस्था पर सीधा असर...
More »महामारी में मजहब के आधार पर हुआ भेदभाव- वैश्विक रिपोर्ट
बात कोविड काल की है। अफगानिस्तान में बहुसंख्यक तबके ने करीब 25 सिखों को मौत के घाट उतार दिया। और इस कारण से सिखों में डर पसरा। जिसका नतीजा था लगभग 200 सिक्खों का हिंदुस्तान की ओर पलायन। यह पलायन उनकी ख्वाहिश से नहीं मजबूरी से उपजा था। प्रश्न यह है कि सिखों के साथ यह अत्याचार क्यों हो रहा था? अफगानिस्तान के बहुसंख्यक तबके का कहना था कि सिख कोविड...
More »मधुमक्खियों पर दिखने लगा वायु प्रदूषण का असर, खेती पर भी आएगा संकट
मोंगाबे हिंदी, 17 नवम्बर वायु प्रदूषण को लेकर देश के कुछ महानगर और औद्योगिक शहरों की चर्चा होती है, जहां प्रदूषण का स्तर मानक से काफी अधिक है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्रदूषण के मानक से कम प्रदूषित इलाकों में भी वायु प्रदूषण का खतरनाक असर देखा जा रहा है? वैज्ञानिकों के हालिया शोध में सामने आया है कि अपेक्षाकृत कम प्रदूषित शहरों में यह असर मधुमक्खियों पर दिख...
More »पहली बार गर्भ में पल रहे बच्चे के जिगर, फेफड़े और मस्तिष्क में पाए गए वायु प्रदूषण के कण
डाउन टू अर्थ, 13 वैज्ञानिकों को पहली बार गर्भ में पल रहे भ्रूण के जिगर, फेफड़े और मस्तिष्क में वायु प्रदूषण के कण मिले हैं जो इस बात का सबूत हैं कि मां द्वारा सांस में लिए गए कालिख के नैनोकण प्लेसेंटा को पार कर गर्भ में पल रहे बच्चे के शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। इस बात से ही वातावरण में घुलते इस जहर की गंभीरता का अंदाजा लगाया...
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