लगभग छह माह पूर्व यूपीए सरकार ने डीजल के दाम बढ़ाने का निर्णय लिया था. विपक्षी पार्टियों ने सरकार के इसका विरोध किया था. उनके दो मुख्य तर्क थे. एक यह कि मूल्य वृद्घि से महंगाई बढ़ेगी. दूसरा यह कि गरीब पर दुष्प्रभाव पड़ेगा. दोनों तर्क फेल हो गये हैं. महंगाई नियंत्रण में है और गरीब द्वारा हाहाकार का कोई संकेत नहीं है. डीजल की मूल्य वृद्घि से महंगाई न बढ़ने...
More »SEARCH RESULT
घूस देने में माहिर है भारतीय, दे डाली हजारों करोड़ की रिश्वत
नई दिल्ली. पिछले साल भारतीयों ने जमीन खरीदने-बेचने में लगभग 3,700 करोड़ रुपए (70 करोड़ डॉलर) की रिश्वत दी है। उन्हें मूलभूत सेवाएं पाने के लिए भी 50 से 950 रुपए तक घूस देनी पड़ी है। यह दावा संयुक्त राष्ट्र के खाद्य व कृषि संगठन (एफएओ) और दुनिया में भ्रष्टाचार पर निगाह रखने वाली संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के एक अध्ययन में किया गया है। इसके मुताबिक वर्ष 2011 में भारतीयों ने राशन...
More »वित्तमंत्री की नींद क्यों उड़ी है- आनंद प्रधान
जनसत्ता 15 फरवरी, 2012 : वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी की नींद उड़ गई है। उनका कहना है कि जब भी वे सब्सिडी के बढ़ते बोझ के बारे में सोचते हैं, उनकी रातों की नींद उड़ जाती है। असल में, वित्तमंत्री ने चालू वित्तीय वर्ष के बजट में विभिन्न मदों (खासकर खाद्य, उर्वरक और पेट्रोलियम) में कुल 1.43 लाख करोड़ रुपए की सब्सिडी का अनुमान लगाया था, लेकिन रिपोर्टों के मुताबिक, इसमें लगभग एक लाख...
More »‘आप गलतफहमी के शिकार हैं. हमने भूमि सुधारों को बैकबर्नर पर नहीं डाला है’
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बात करना आसान नहीं. उन्हें केंद्र और राज्य दोनों तरह की सरकारों में काम करने का खासा अनुभव है. वे हिंदीभाषी प्रदेशों के उन गिने-चुने नेताओं में से हैं जो बढ़िया वक्ता हैं. काफी पढ़े-लिखे हैं और राजनीति के उथल-पुथल वाले 70 और 80 के दशक में उन्होंने आजादी के बाद के, कांग्रेस से अलग धारा में काम करने वाले कई प्रमुख नेताओं के...
More »सब्सिडी का अनोखा खेल-डॉ भरत झुनझुनवाला
वित्त मंत्री ने मन बनाया है कि लाभार्थी को सब्सिडी नगद रूप में दी जाए. वित्त मंत्री के मंतव्य का स्वागत किया जाना चाहिए. गरीब के नाम पर उच्चवर्ग और कंपनियों को पोषित करना उचित नहीं. हमारे धर्मग्रंथों में भी गरीब को नगद देने की बात कही गयी है. सरकार द्वारा डीजल, यूरिया, खाद्यान्न आदि पर सब्सिडी दी जा रही है. आम आदमी समझता है कि इससे उसे राहत मिल रही...
More »