भोजन का अधिकार जीने के अधिकार से जुड़ा हुआ है और संविधान का अनुच्छेद 21 सभी नागरिकों को जीने का अधिकार प्रदान करता है। इस लिहाज से प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक स्वागतयोग्य है। पिछले दो दशकों में भारत में भूख एक बड़ी समस्या के रूप में उभरी है। 1991 में जब आर्थिक सुधार कार्यक्रम शुरू किए गए थे, तब प्रति व्यक्ति भोजन की खपत 178 किलोग्राम थी, जो 2003 में...
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राशन पर सरकारी डाका -- प्रशांत कुमार दुबे
सरकार अब राशन में खाद्यान्न की जगह नकद भुगतान करने जा रही है. इसका पायलट फेज दिल्ली की दो बस्तियों में प्रारंभ भी कर दिया गया है. सरकार के इस कदम के बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि सरकार अपनी संवैधानिक प्रतिबद्धता को भी समाप्त करने की कोशिश कर रही है. हालांकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कमजोर करने की साजिश तो वर्ष 1991 के बाद से ही शुरु हो...
More »खाद्यान्नों के निर्यात पर जोर नहीं दे रहा कृषि मंत्रालय
नई दिल्ली। कृषि मंत्री शरद पवार ने मंगलवार को कहा कि उनका मंत्रालय प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक के मद्देनजर खाद्यान्नों के निर्यात पर जोर नहीं दे रहा है। पवार का यह बयान ऐसे समय आया है जब खाद्य मंत्री के वी थामस ने कहा है कि उनका मंत्रालय खाद्यान्नों के रिकार्ड उत्पादन और भंडारण समस्या की वजह से गेहूं और चावल के सीमित मात्रा में निर्यात के खिलाफ नहीं है।...
More »एनएसी ने दी खाद्य सुरक्षा विधेयक को मंजूरी
नई दिल्ली। सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) ने बुधवार को हुई बैठक में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक 2011 को मंजूरी दे दी। इसका लक्ष्य भुखमरी के शिकार लोगों को सरकार द्वारा खाद्य सहायता मुहैया कराना है। परिषद अब इसे सरकार को भेजेगी। यह विधेयक संसद से पारित हो गया तो देश के 90 फीसदी ग्रामीण परिवारों और 50 फीसदी शहरी परिवारों को रियायती दर पर अनाज मिल...
More »अब महिलाएं होंगी घर की मुखिया! -- यूपीए के खाद्य सुरक्षा बिल में प्रावधान
यूपीए सरकार के प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा बिल में पुरुषों के बजाये महिलाओं को घर के मुखिया का दरजा मिल सकता है. सरकार रियायती दर पर अनाज देने के लिए महिलाओं को घर का मुखिया मानते हुए उनका चयन करेगी. सरकार की इस कल्याणकारी योजना में यह अनोखा प्रस्ताव बाद में जोड़ा गया है. खाद्य सुरक्षा बिल के प्रस्ताव पर पूर्व में हुई चरचाओं में इस तरह की कोई प्रावधान नहीं...
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