अर्थशास्त्रियों में इस बात को लेकर सहमति बन रही है कि आर्थिक विकास की असल कंुजी देश की संस्थाओं में निहित है। सस्ते श्रम से आर्थिक विकास हासिल होना जरूरी नहीं है। जापान में श्रम महंगा है, फिर भी आर्थिक विकास में वह देश आगे है। आवश्यक नहीं कि प्राकृतिक संसाधनों जैसे कोयले अथवा तेल के जरिए भी विकास हासिल हो ही जाए। सिंगापुर में प्राकृतिक संसाधन शून्यप्राय हैं, फिर...
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वीआइपी कल्चर और पुलिस -- विभूति नारायण राय
ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपीआरडी) ने अपने हालिया आंकड़ों में बताया है कि वर्तमान में हमारे देश में कुल 19.26 लाख पुलिसकर्मी हैं, जिनमें से 56,944 पुलिसकर्मियों को देशभर के कुल 20,828 वीआइपी व्यक्तियों की सुरक्षा में लगाया गया है और शेष पुलिसकर्मी देश के आम नागरिकों की सुरक्षा में तैनात हैं. इस आंकड़े के विस्तार में जाकर बीपीआरडी ने पाया कि जहां 663 आम नागरिकों की...
More »आधार पर रोक की उम्मीद -- आकार पटेल
पंद्रह वर्ष पहले जिस समाचार पत्र का मैं संपादन करता था, उसमें सलमान खान और ऐश्वर्या राय की एक बातचीत छपी थी. बातचीत में प्रीटी जिंटा का भी जिक्र था, जिन पर सलमान खान ने अश्लील टिप्पणी की थी. इससे नाराज होकर जिंटा ने मेरे खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया था. कुछ वर्षों तक मुकदमा चला और फिर उन्होंने इसे वापस ले लिया था. बहरहाल, इस मामले में...
More »बाढ़ जनित समस्या का प्रबंधन-- डा. गोपाल कृष्ण
आम तौर पर सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाएं बाढ़ जनित समस्या से चकित होने का स्वांग करती हैं. हिमालय के गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी घाटी जैसे क्षेत्रों में सदियों से नदी के भूमि बनाने के अपने नैसर्गिक कार्य के लिए बाढ़ का जन्म होता रहा है. मौजूदा बाढ़ में खबरों के अनुसार अभी तक बिहार में 18 जिलों में 200 से अधिक लोग मौत के शिकार हुए हैं. पश्चिम...
More »कहीं कटाव तो कहीं निगलने को बेताब हैं नदियां, घाघरा में समाई सैकड़ों एकड़ जमीन
सिताबदियारा, सारण. जिले में नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। जलस्तर बढ़ाने के साथ ही लोगों को यह भय सताने लगता है कि नदियां कहीं तटबंधों को तोड़ कर उनके आशियाने को न तबाह कर दें। हालांकि हर साल सरकार और जिला प्रशासन इस बात का ढिंढोरा जरूर पिटता है कि तैयार पूरी हो गई है। इस बार कहीं से किसी भी तटबंध पर कोई खतरा नहीं है। लेकिन...
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