इस बार 31 दिसंबर की शाम कुछ अलग तरह से गुजर रही है। दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर कन्याकुमारी के तटीय गांव इदिंतकराई में। तमिल में इदिंतकराई का अर्थ है- टूटा हुआ तट। यह गांव बंगाल की खाड़ी के जिस तट पर बसा है, वह एक जगह से टूटा है। गांव के नाम में, उसके तट में टूटन भले हो, लेकिन यहां के लोगों मंे कहीं आपसी टूटन नहीं दिख...
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विरले होते हैं दयाशंकर जैसे अफसर
भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी रहे दयाशंकर की ऑस्ट्रेलिया में मरने की खबर से एक ऐसे ईमानदार चरित्रबल वाले अधिकारी की याद ताजा हो उठी है, जिसने अपने कर्तव्यपरायणता से यह सिद्ध किया कि ईमानदार अफसर मुश्किल परिस्थितियों का भी कैसे डट कर मुकाबला करते हैं. दयाशंकर ने 80 के दशक में स्मगलिंग की दुनिया में बादशाहत कायम कर चुके अपराधियों को उस खौफ से रू-ब-रू करवाया, जो विरले ही देखने...
More »डरबन से आगे की डगर- सुनील यादव
दक्षिण अफ्रीका के डरबन शहर में आयोजित संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन से लौटने के बाद अब विभिन्न देशों ने ‘क्या खोया- क्या पाया’ का आकलन शुरू कर दिया है। ऐसे में हम पाते हैं कि पर्यावरणीय चिंता के वैश्विक सवाल पर यूरोपीय संघ जहां विजेता की मुद्रा में है, वहीं हमारा देश ‘अड़ियल’ का खिताब लेकर लौटा है। संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन समझौते के अंतर्गत 1992 में ब्राजील के रियो...
More »किसके हक में- वंदना शिवा
तमिलनाडु के कुडनकुलम में बन रहे परमाणु बिजली संयंत्र के विरोध ने एक बार फिर परमाणु ऊर्जा को लेकर पूरे देश का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने संयंत्र को पूरी तरह सुरक्षित बताया है, लेकिन परमाणु सुरक्षा का मसला सिर्फ विशेषज्ञों द्वारा तय किया जाने वाला मुद्दा नहीं है, बल्कि यह एक लोकतांत्रिक मुद्दा है। यह पारिस्थितिकी से जुड़ा ऐसा मुद्दा है, जिसमें प्रकृति...
More »अर्थ डे आज: 2050 तक 10 में से 9 लोगों को रहना होगा भूखा
नई दिल्ली. आज अर्थ डे है। दुनियाभर में धरती को बचाने की कोशिशें हो रही हैं। 1970 में छोटे से समूह अर्थ डे नेटवर्क ने अमेरिका ने 22 अप्रैल को 'पृथ्वी दिवस घोषित किया। संयुक्त राष्ट्र ने 2009 में 22 अप्रैल को 'अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी दिवस' के रूप में मान्यता दी। धरती पर बढ़ रहे कचरे, प्रदूषण, विलुप्त होते जीव-जंतु और पेड़-पौधों पर मंडरा रहे खतरों के प्रति जागरुकता पैदा करना इसका मुख्य उद्देश्य...
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