तकरीबन तीन दशक पहले तक जहां पानी सहज-सुलभ था, वहां भी अब वह दुर्लभ हो रहा है। इसे भविष्य की विकट चेतावनी के रूप में देखा जाना चाहिए। यह स्थिति उस वस्तु के अभाव की है, जो हमारे जीने की जरूरी शर्त है और जिसका कोई दूसरा विकल्प नहीं। एक सतही और मोटी बात तो यह है कि जब आजादी के बाद के छह दशकों में देश की आबादी तिगुनी हो गई...
More »SEARCH RESULT
चमक में छिपा अधेरा- प्रदीप सती
ताजमहल के बारे में कहा जाता है कि इसे बनवाने वाले मुख्य कारीगर के हाथ कटवा दिए गए थे ताकि वह फिर कोई ऐसी सुंदर इमारत न बना सके. ताजमहल से लेकर चीन की दीवार तक हुए बेहतरीन निर्माणों की जब भी बात होती है तो इन्हें बनाने वाले शिल्पियों के साथ हुए अन्याय के बहुत-से किस्से मिलते हैं. यह अन्याय 21वीं सदी तक भी जारी है. राजधानी दिल्ली की तस्वीर...
More »हम इन्हें अपना कब मानेंगे- सुबीर भौमिक
पूर्वोत्तर भारत ऐसा हिस्सा है, जहां भारत कम और दक्षिण-पूर्व एशिया अधिक दिखता है। यहां के ज्यादातर जातीय समूहों के पूर्वज चीन के युन्नान प्रांत और म्यांमार के कुछ हिस्सों से आए हैं। इस हिस्से पर अंग्रेजों के आगमन से पहले किसी भारतीय शासक ने, फिर चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान, राज नहीं किया है। अंग्रेज जब भारत से विदा हुए, तब यह क्षेत्र भारत का हिस्सा बना। भारत की राष्ट्र-निर्माण परियोजनाओं...
More »भटके हुए चुनाव अभियान- सुनील खिलनानी
एक उम्मीदवार भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर है। वहीं दूसरा पुनर्वितरण और सशक्तिकरण की वकालत कर रहा है। एक तीसरा उम्मीदवार भी है, जो विकास की अलख जगाते हुए एक नए राष्ट्रीय गौरव का आह्वान कर रहा है, जिसमें हिंदुओं को पीड़ित बताए जाने की मंशा अंतर्निहित है। लेकिन दिक्कत यह है कि हमारे ये तीनों संभावित नेता देश की बागडोर संभालने की मंशा तो रखते हैं, लेकिन इस जरूरी तथ्य...
More »जनहित याचिका के ऐतिहासिक नतीजे
हम अपने संविधान की चाहे जितनी आलोचना कर लें और इसे जितना बेकार कह लें, सच यह है कि अब तक इसने ही देश के नागरिकों को सम्मान से जीने का अधिकार दिया है और उस अधिकार के अतिक्रमण को दूर करने का रास्ता भी इसी ने दिया. इसका एक बड़ा उदाहरण है जनहित याचिका. यह जनता के संवैधानिक अधिकारों के इस्तेमाल और अदालत के कानूनी अधिकार से ही संभव हुआ...
More »