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2019 में प्राकृतिक आपदाओं की वजह से विस्थापित हुए 2.2 करोड़ लोग: रिपोर्ट

-डाउन टू अर्थ, विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्लूएमओ) द्वारा जारी नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, पिछला दशक (2010-2019) इतिहास के सबसे गर्म दशक के रूप में दर्ज किया गया। रिपोर्ट के अनुसार 1980 के बाद से हर दशक अपने पिछले दशक से गर्म होता जा रहा है। डब्लूएमओ के अनुसार 2019 का तापमान पूर्व-औद्योगिक काल से 1.1 डिग्री सेल्सियस ऊपर जा चुका है। जिसके चलते भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप में रिकॉर्ड...

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बेरोजगारी चरम पर, फरवरी की बेरोजगारी दर पिछले चार महीनों में सबसे ज्यादा

मीडियाविजिल, बीते चार महीनों में बेरोजगारी अपने चरम पर है. हाल ही में आई सीएमआईई की रिपोर्ट के अनुसार फरवरी महीने में बेरोजगारी दर 7.8 प्रतिशत तक पहुंच गई है. पिछले महीने जनवरी में यह 7.2 प्रतिशत थी. फरवरी के ये आंकड़े पिछले चार महीनों में सबसे ज्यादा है. इससे पहले अगस्त 2019 में यह आंकड़ा 8.2 प्रतिशत तक पहुंच गया था.  फरवरी के शुरूआती तीन हफ्तों में से पहले हफ्ते में...

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'दस हजार से अधिक नवजात मर गए, लेकिन अस्पताल प्रशासन के लिए यह सामान्य बात है'

-न्यूजलॉन्ड्री, गोरखपुर, मुजफ्फपुर और बाद में कोटा में सैकड़ों बच्चों की मौतें हुई, जो लगभग हर अखबार व चैनल की सुर्खियां बनी और कुछ दिन बाद सब कुछ सामान्य हो गया. नहीं बदला तो अस्पताल प्रशासन का रवैया. यह रवैया न तो उक्त तीनों अस्पताल में बदला है और ना ही देश के अन्य अस्पतालों में. हमनें जनवरी व फरवरी माह के दौरान देश के 10 राज्यों के 19 सरकारी अस्पतालों की...

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हमें खाली-पीली 'हैप्पी विमंस डे' या महिला दिवस की बधाई सुनना अच्छा नहीं लगता

-सत्याग्रह, प्रसव का दर्द और मातृत्व का सुख तब भी था जब भाषाएं और सभ्यताएं भी विकसित नहीं हुई थीं. यानी मातृत्व का इतिहास दुनिया की किसी भी सभ्यता के इतिहास से भी पुराना है. समय-समय पर दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में स्त्रीवादी लेखिकाओं ने मातृत्व के बारे में अपने विचार रखे हैं. लेकिन अपने भारतीय समाज में तमाम स्त्रीवादी आंदोलनों, विचार-विमर्श, चर्चा और लेखन के बाद भी एक बड़ी हद...

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आर्थिक निराशा में घिरा बहुसंख्यकवादी देश बन गया है भारतः मनमोहन सिंह

-बीबीसी हिंदी, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक संपादकीय लेख में कहा है कि भारत उदारवादी लोकतंत्र के वैश्विक उदाहरण से आर्थिक निराशा में घिरा बहुसंख्यकवादी देश बन गया है. द हिंदू में प्रकाशित संपादकीय में मनमोहन सिंह ने कहा कि वो भारी मन से ये बात लिख रहे हैं. मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत इस समय सामाजिक द्वेष, आर्थिक मंदी और वैश्विक स्वास्थ्य महामारी के तिहरे ख़तरे का सामना...

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